यूपी के फतेहपुर में नवाब अब्दुल समद के मकबरे को लेकर देश में संसद से लेकर विधानसभा तक जमकर हंगामा चल रहा है कि यह मकबरा और मंदिर है. जिसके लिए दोनों पक्ष अपना अपना दावा पेश कर रहे है. जबकि यह विवाद मठ संघर्ष समिति ने 8 अगस्त को एक ज्ञापन देकर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिर की सफाई को लेकर ऐलान कर सुरक्षा व्यवस्था मांगी थी.
भाजपा जिला अध्यक्ष मुखलाल पाल ने इस मामले को लेकर एक ऐलान किया और जनपद वासियों को सोशल साइड के माध्यम से 11 अगस्त को कर्पूरी ठाकुर चौराहे के पास एकत्र होकर विवादित स्थल तक पहुंच साफ सफाई का ऐलान किया.
बैरिकेटिंग तोड़कर मकबरे में घुसे लोग
भाजपा जिला अध्यक्ष मुखलाल पाल के ऐलान के बाद पुलिस प्रशासन ने मकबरे को बैटिकेटिंग कर किसी को भी जाने की अनुमति नही दी. उसके बाद हजारों को संख्या में मौजूद लोगों ने बैटिकेटिंग को तोड़कर मकबरे में प्रवेश हुए. जहां मकबरे में बनी मजारों को तोड़कर भगवा झंडा फहरा दिया.
उधर मुस्लिम पक्ष के लोगो ने भगवा झंडा और तोड़फोड़ को देख आक्रोशित होकर ईंट पत्थर चलाये. जिसके बाद पुलिस फोर्स ने हल्का बल का प्रयोग कर दोनों पक्षो को खदेड़ दिया.
बवाल के बाद दर्ज हुआ मुकदमा
इस घटना के बाद पुलिस फोर्स ने 10 नामजद और 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. जिनकी आज तक कोई गिरफ्तारी नही हुई. बल्कि पुलिस का कहना रहा कि 7 साल से कम की सजा की धारा है इस लिए किसी की गिरफ्तारी नही की जा सकती जैसा बयान सदर कोतवाल के द्वारा दिया गया.
अब इस मामले को लेकर भाजपा के लोगो 16 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी बनाने और पूजा का ऐलान किया जिसके बाद जनपद में धारा 144 अब 163 लागू कर दिया गया.
अब इस मामले में दोनों पक्षों का दावा
मकबरा का मुतवल्ली अबू हुरेरा का दावा है कि 1611में इसका निर्माण मुगलों के द्वारा कराया गया जिसकी खतौनी 1359 में सदर तहसील में दर्ज है. जबकि हिन्दू पक्ष के सतीश चंद्र रस्तोगी का कहना है कि यह उनकी बुजुर्गियत जमीदारी की संपति है. 753, 752 और 1159 का रकबा है. 753 में मंदिर दर्ज है जबकि 752 शकुंतला मान सिंह के हिस्से में है जबकि 1159 उनके नाम पर दर्ज है.
लाल ईश्वर लाल रस्तोगी जो उनके परबाबा हैं उनके बटवारे के समय 1927 मे बटवारे में मिली थी. शकुंतला मान सिंह में इस जमीन को 1970 में अशोथर के राम नरेश को बेच दी थी. राम नरेश के पुत्र विजय प्रताप सिंह द 2006 से 2007 के बीच प्लाटिंग कर बिक्री किया. तभी अनीश बाबा ने 2012 में सपा सरकार कागजो में खेल कर अपने नाम करवा लिया और उसका मुतवल्ली बन बैठा. यह जमीन मंदिर के नाम है.