Budhana Assembly constituency: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) जिले की हॉट सीट बुढ़ाना विधानसभा (Budhana Assembly constituency) पर जाट मतदाताओं को लेकर गठबंधन प्रत्याशी और भाजपा प्रत्याशी में बेचैनी बढ़ गई है. गठबंधन प्रत्याशी राजपाल बालियान (Rajpal Baliyan) जहां अपने आप को जाट समुदाय का कैंडिडेट बताते हुए शत प्रतिशत जाट मतदाताओं का मत मिलने की बात कर रहे हैं तो कहीं ना कहीं गठबंधन प्रत्याशी भाजपा को भी 4 प्रतिशत जाट समर्थन की बात कर रहे हैं. हालांकि, गठबंधन प्रत्याशी पर मुस्लिम वोट 80 प्रतिशत तक जा रहे हैं. 2013 के दंगों के बाद से मुजफ्फरनगर की बुढ़ाना विधानसभा से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे केंद्र मंत्री संजीव बालियान भी बुढ़ाना विधानसभा से आते हैं. वहीं, उमेश मलिक भी बुढ़ाना विधानसभा के गांव डूंगर से आते हैं. इस सीट पर भाजपा के सिटिंग एमएलए उमेश मलिक जाट समाज में अपनी अलग पहचान रखते हैं. 


भाजपा का वोट बैंक है जाट समाज 
उमेश मलिक (Umesh Malik) 2013 के दंगों का जिक्र करते हुए बताते हैं कि समाजवादी पार्टी सरकार में मुजफ्फरनगर में दंगा हुआ जिसमें बुढ़ाना विधानसभा सबसे ज्यादा प्रभावित रही, कई बेकसूर जाट नौजवान युवक फर्जी मुकदमों में जेल गए जिनकी पैरवी करते हुए हमने लगभग दंगे के सभी मुकदमों में फैसले करा दिए हैं. कुछ केस वापसी हुए हैं, युवाओं की जेल से घर वापसी हुई है इसलिए जाट समाज भाजपा का सबसे बड़ा वोट बैंक है और आने वाले चुनाव में गठबंधन के प्रत्याशी को ये पता लग जाएगा. 


अपने-अपने दावे 
बुढ़ाना विधानसभा में जाट मतदाताओं की बात करें तो लगभग 63 हजार जाट मतदाता, 43 हजार मुस्लिम मतदाता हैं. भाजपा के उमेश मलिक जहां अपने चुनाव प्रचार में लगातार 2013 के दंगों का जिक्र करते हुए जाट मतदाताओं को रिझाने की बात कर रहे हैं तो वहीं गठबंधन के प्रत्याशी राजपाल बालियान जाट और मुस्लिम वोट बैंक पर राजनीति कर भाजपा प्रत्याशी पर दंगे कराने का आरोप लगाकर मुस्लिम वोट बैंक को प्रभावित कर रहे हैं. 


सबको साथ लेकर चलने का काम किया
भाजपा प्रत्याशी उमेश मलिक का कहना है कि, ''2013 के दंगों में लगभग 400 सौ परिवारों के बच्चे बुजुर्ग जेल गए थे. पुलिस के द्वारा फुगाना में लगातार तांडव मचाया गया था. हमारी माता और बहनों के ऊपर लाठियां बरसाई गईं, अखिलेश सरकार के द्वारा 2013 में फुगाना गांव में आतंकी वातावरण बनाया गया. 2017 में जैसे ही भाजपा की सरकार आई गांव के लोगों के साथ हमने एक टीम बनाई और कई मामलों में फैसले हुए हैं. सबको साथ लेकर चलने का काम हमने किया है, बहुत सारे मुकदमों में फैसले हो गए हैं, कई युवाओं को जमानत मिली है. इस विधानसभा को ही नहीं इस पूरे जिले को 2013 का तांडव याद है. आज जनता उनके साथ नहीं हैं. कहीं ना कहीं इनका आदमी खड़ा हो जाता है अखिलेश की टोपी पहनकर, लाल टोपी पहनकर हुड़दंग करने का प्रयास करता है. जितना ये हुड़दंग कर रहे हैं उतना ही जनता हमारे पक्ष में होती जा रही है. जाट समाज के सबसे बड़े गांव फुगाना में हूं, हजारों ट्रैक्टरों के साथ गांव में स्वागत हुआ है. यहां का जाट समाज साथ खड़ा है. 2017 में 50 प्रतिशत जाट समर्थन मिला, लेकिन इस बार 75 फीसदी वोट मिलने जा रहा है.''


मिल रहा है जाटों का समर्थन 
गठबंधन प्रत्याशी राजपाल बालियान का कहना है कि, ''मुझे बड़े जोश के साथ जनता का समर्थन मिल रहा है, अपने क्षेत्र के लिए मैं कोई नया आदमी नहीं बल्कि पुराना आदमी हूं. 1996 से लेकर 2001 तक में 2 बार क्षेत्र में विधायक रह चुका हूं उसके बाद में 2 चुनाव लड़ा लेकिन दोनों चुनाव हार गया. जाट वोटर अगर भाजपा को जा रहा होगा तो मात्र 2 से 3 प्रतिशत जा रहा होगा, कुछ प्रतिशत तो जाट भाजपा को जाता ही है. लेकिन, बाकि जाट समाज तो मेरे साथ खड़ा है गठबंधन की हर सीट को जाट वोट कर रहा है.''


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