UP Politics: उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद ने जातिगत जनगणना के फैसले का जोरदार स्वागत किया है. उन्होंने इस पहल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक निर्णय है जो सामाजिक न्याय की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंने कहा कि वह जातिगत जनगणना की मांग को लेकर पहले से संघर्ष करते आ रहे हैं. इसके लिए वो जेल गए हैं, रेल रोकी है, प्रदर्शन किया है. उन्होंने कहा कि उन्होंने द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर बताया कि जातिगत जनगणना कैसे होनी चाहिए.
उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि 1951 में जातिगत जनगणना को कांग्रेस ने बंद किया और यह आज तक स्पष्ट नहीं किया कि ऐसा क्यों किया गया. 1961 में हमारी जनसंख्या 70 लाख थी, जबकि 2011 में मात्र 7 हजार दिखा दी गई. जहां सबकी जनसंख्या बढ़ती है, हमारी घट गई.
संजय निषाद ने राजनीतिक दलों पर आरोप लगाया कि कांग्रेस, सपा और बसपा ने हमेशा पिछड़े और वंचित वर्गों के साथ अन्याय किया है. उन्होंने कहा कि हम निषादों को ओबीसी में डालना गैर-संवैधानिक था. कांग्रेस को तो अब बोलने का भी अधिकार नहीं है.
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आरक्षण के दायरे पर क्या बोले संजय निषाद?क्या जातिगत जनगणना के बाद आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से अधिक करने की मांग की जाएगी?इस सवाल पर उन्होंने सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि कुछ जातियां अपनी संख्या से 100 गुना अधिक नौकरियों में हैं. उन्होंने दावा किया कि बिहार की जनगणना में कुछ जातियों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया, जबकि बाकी को मात्र दशमलव में कर दिया गया. उन्होंने मांग की कि जातिगत जनगणना को आधार कार्ड से जोड़ा जाए और इसमें प्रत्येक व्यक्ति की पहचान, गांव और निवास की पूरी जानकारी दर्ज हो.
संजय निषाद ने विश्वास जताया कि जब जरूरत पड़ेगी तो सुप्रीम कोर्ट भी इस दिशा में सकारात्मक रुख अपनाएगा और जो लोग पहले से लाभ ले चुके हैं, उन्हें अलग किया जाएगा ताकि वंचित वर्गों को असली फायदा मिल सके. विपक्ष पर इस फैसले के बाद आ रहे बयानों पर उन्होंने हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि जब इनके पास सत्ता थी तब इन्होंने कुछ नहीं किया, अब खिसियानी बिल्ली खंभा नोच रही है.