Mainpur By-Elections: मैनपुरी लोकसभा सीट (Mainpuri Lok Sabha) और रामपुर उपचुनाव (Rampur ByElection) का एलान शनिवार को भारतीय निर्वाचन आयोग ने कर दिया है. इस उपचुनाव के एलान के साथ ही राज्य में फिर से राज्य में सियासी पारा चढ़ गया है. समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के तमाम पदाधिकारी और नेता की सपा मुख्यालय में बैठक होगी, जिसमें अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) भी मौजूद रहेंगे. दूसरी ओर मैनपुरी (Mainpuri) सीट पर लंबे वक्त से नेताजी या परिवार का ही कोई सदस्य चुनाव लड़ता रहा है. सपा परिवार का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट पर अखिलेश यादव के परिवार के ही कुछ लोगों के उपचुनाव में उम्मीदवार बनने की संभावना है.


मैनपुरी लोकसभा सीट मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई है. इस सीट पर पहले पार्टी अध्यक्ष और फिर संरक्षक रहे नेताजी चुनाव लड़ते थे. इस लिहाज से सबसे पहले अखिलेश यादव की दावेदारी होती है. लेकिन सपा प्रमुख पहले आजमगढ़ से सांसद थे और विधानसभा चुनाव में करहल से विधायक बनने के बाद अपनी सीट छोड़कर विधानसभा में नेता विपक्ष बनकर बीजेपी से सीधी टक्कर लेने का फैसला किया. इस वजह से फिर मैनपुरी उपचुनाव में वे अपनी दावेदारी पेश करेंगे इसकी कोई वजह नजर नहीं आ रही है. 


शिवपाल सिंह यादव की अटकलें
अखिलेश यादव के बाद बात चाचा शिवपाल सिंह यादव की कर लें. नेताजी के निधन के बाद से ही प्रसपा प्रमुख के बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे हैं. नेताजी के रहते भी उन्होंने इस सीट पर चुनाव लड़ने की पहले इच्छा जाहिर की. लेकिन जब मामले ने तूल पकड़ा तो फिर सफाई दी. उन्होंने कहा था कि नेताजी मैनपुरी से चुनाव नहीं लड़ते हैं तो मैं चुनाव लड़ूंगा. बात यहीं खत्म नहीं होती है, नेताजी के निधन के बाद जब इस सीट पर दावेदारी की बात हुई तो उन्होंने कहा, "हमें जिम्मेदारी मिलने का इंतजार है. इंतजार है, देखिए. नेताजी का अक्स अखिलेश यादव में दिखाई पड़ता है." जिसके बाद माना जा रहा है कि चाचा और भतीजे साथ मिलकर इस सीट पर अपना उम्मीदवार उतारेंगे. हालांकि इस बीच शिवपाल सिंह यादव दावेदार होंगे या नहीं इसकी कोई पुष्ठि हुई नहीं हैं, केवल अटकले चल रही हैं. 


UP By-Elections: मैनपुरी उपचुनाव के एलान से चढ़ा सियासी पारा, सीट बचाने के लिए एक साथ आएंगे चाचा शिवपाल और अखिलेश!


तेज प्रताप और डिंपल यादव सबसे बड़े दावेदार
मैनपुरी सीट परिवार की सीट होने की वजह से अखिलेश यादव अपने सबसे भरोषेमंद को उम्मीदवार बनाएंगे. इस वजह से पूर्व सांसद तेज प्रताप सिंह यादव की दावेदारी भी मानी जा रही है. तेज प्रताप दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है, इसकी एक और वजह है. लोकसभा उपचुनाव 2014 में मैनपुरी से नेताजी के इस्तीफा देने के बाद उन्हें ही उम्मीदवार बनाया गया था. अखिलेश यादव का भतीजा होने के साथ ही तेज प्रताप की गिनती परिवार के भरोसेमंद लोगों में होती हैं. इन दोनों ही वजह से तेज प्रताप सबसे बड़े दावेदार हैं.


अब बात अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव की करते हैं. सपा परिवार का गढ़ बचाने और सबसे भरोषेमंद उम्मीदवार के नाम में डिंपल यादव की भी चर्चा है. वे खुद अपनी पत्नी और कन्नौज की पूर्व सांसद डिंपल यादव को भी उम्मीदवार बना सकते हैं. हालांकि बीते दिनों अखिलेश यादव से आजमगढ़ से डिंपल यादव को प्रत्याशी नहीं बनाने पर सवाल हुआ तो उन्होंने कहा था, "अभी 2024 का चुनाव है, इस चुनाव में जिसको लड़ाना होगा मैं लड़ाऊंगा. इतने कम महीनों के चुनाव में क्यों मैं उन्हें चुनाव लड़वा दूं." इस बयान के आधार पर डिंपल यादव की दावेदारी होने के बावजूद उनके चुनाव लड़ने की उम्मीद कम जताई जा रही है.