UP Board Result 2021: यूपी बोर्ड की दसवीं और बारहवीं क्लास के नतीजे 25 जुलाई के करीब घोषित किये जाने की उम्मीद है. 56 लाख से ज़्यादा स्टूडेंट्स का रिजल्ट जारी होने में अब सिर्फ हफ्ते भर का ही वक़्त बचा है, लेकिन ज़्यादातर छात्रों को अभी तक अपना रोल नंबर तक पता नहीं चल सका है. यूपी बोर्ड की वेबसाइट में आ रही दिक्कतों के चलते रोल नंबरों की लिस्ट अब स्कूलों को भी भेजे जाने का फैसला लिया गया है. जो स्टूडेंट बोर्ड की वेबसाइट से अपना रोल नंबर नहीं ढूंढ पा रहे हैं, वह अपने स्कूल से इस बारे में जानकारी ले सकते हैं. हालांकि ऑफिसियल वेबसाइट पर रोल नंबर ठीक तरीके से मुहैया न करा पाने की वजह से यूपी बोर्ड की जमकर किरकिरी भी हो रही है. सवाल यह उठ रहे हैं कि जब रोल नंबर मुहैया कराने में बोर्ड की ऑफिसियल वेबसाइट दगा दे जा रही है तो हफ्ते भर बाद रिजल्ट जारी होने पर 56 लाख से ज़्यादा स्टूडेंट्स अपनी मार्कशीट इस पर कैसे देख पाएंगे.


वैसे बैकफुट पर आए यूपी बोर्ड के ज़िम्मेदार अफसरान इस बारे में गोल-मोल जवाब देकर अपना बचाव करने में लगे हैं. बोर्ड के अफसरों का कहना है कि वेबसाइट पर रोल नंबर पहली बार जारी किया गया था, इसलिए ओवरलोड होने की वजह से यह ठीक से काम नहीं कर रही थी और स्टूडेंट्स को दिक्कतें हो रही थीं. इसी दिक्कत को देखते हुए रोल नम्बर्स की लिस्ट अब स्कूलों को सीधे अलग से भेजे जाने का फैसला किया गया है. जो छात्र बेव साइट के ज़रिये रोल नंबर नहीं देख पा रहे हैं, वह स्कूल से संपर्क कर इसे जान सकते हैं. वैसे स्कूलों तक लिस्ट मुहैया कराने और रोल नंबर की जानकारी सभी छात्रों तक पहुंचाने का काम भी इतना आसान नहीं है, क्योंकि स्टूडेंट्स की संख्या 56 लाख से ज़्यादा है.


सभी स्टूडेंट को पास कर दिया जाएगा


गौरतलब है कि कोरोना की महामारी के चलते यूपी बोर्ड ने इस साल दसवीं और बारहवीं के इम्तहान रद्द कर दिए थे और छात्रों को पुराने रिजल्ट के आधार पर नंबर देकर उन्हें पास करने का फैसला लिया था. बोर्ड के सौ सालों के इतिहास में यह पहला मौका है, जब बिना इम्तिहान के ही रिजल्ट जारी किये जाएंगे और इम्तिहान लिए बिना ही सभी स्टूडेंट को पास कर दिया जाएगा. चूंकि रिजल्ट जारी करने के लिए रोल नम्बर्स का होना ज़रूरी है, इसलिए बोर्ड ने सभी स्टूडेंट को रोल नंबर एलाट कर उसकी जानकारी ऑफिसियल वेबसाइट पर डालने का एलान किया था. यह प्रयोग ज़्यादा कारगर नहीं हुआ तो बोर्ड ने अब स्कूलों के ज़रिए रोल नंबर की जानकारी मुहैया कराने का फैसला किया है.


तमाम स्टूडेंट्स के साथ ही उनके अभिभावक और टीचर्स लैपटॉप व मोबाइल पर रोल नंबर तलाशने की कोशिश करते रहते हैं, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिल पाती है. प्रयागराज में विद्या भारती द्वारा संचालित रानी रेवती देवी विद्यालय के संगीत विषय के टीचर मनोज कुमार गुप्ता का कहना है कि रोल नंबर के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए स्टूडेंट्स परेशान नज़र आते हैं. तमाम छात्र विद्यालय आकर जानकारी हासिल करने की कोशिश करते रहते हैं. छात्र अपने टीचर्स के पास फोन करके भी अपनी उलझन के बारे में बातें करते हैं. इसी विद्यालय के स्टूडेंट साक्षी राय, अनुराग, इंद्रजीत और अमन सिंह भी अपना रोल नंबर जानने के लिए परेशान हैं. बोर्ड की वेबसाइट से उन्हें जानकारी नहीं मिल पा रही है. हालांकि फिजिक्स के टीचर शिव नारायण सिंह का कहना है कि छात्रों को परेशान होने की ज़रुरत नहीं है, उन्हें विद्यालय से रोल नंबर भी मिल जाएगा और मार्कशीट भी.


रिज़ल्ट में अभी करीब हफ्ते भर का वक़्त और लग सकता है


इस साल के यूपी बोर्ड के रिज़ल्ट में अभी करीब हफ्ते भर का वक़्त और लग सकता है. इस बार का रिजल्ट भी बोर्ड के हेडक्वार्टर प्रयागराज के बजाय राजधानी लखनऊ से ही जारी किया जाएगा. नतीजे माध्यमिक शिक्षा विभाग के मंत्री और सूबे के डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा की मौजूदगी में जारी किये जाने की उम्मीद है. हालांकि इम्तिहान रद्द किये जाने की वजह से इस बार कोई भी स्टूडेंट फेल नहीं होगा और सौ फीसदी छात्र पास किये जाएंगे. यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में शामिल होने के लिए इस साल 56 लाख से ज़्यादा स्टूडेंट्स ने आवेदन किया था. इनमे हाई स्कूल यानी दसवीं क्लास के 29 लाख 94 हज़ार तीन सौ बारह (29,94,312) और बारहवीं यानी इंटर के 26 लाख 10 हज़ार तीन सौ सोलह  (26,10,316) स्टूडेंट्स शामिल हैं. बोर्ड इस बार कुल मिलाकर 56,04,628 स्टूडेंट्स के रिजल्ट जारी करेगा.


रिजल्ट को लेकर उल्टी गिनती भले ही शुरू हो गई हो, लेकिन स्टूडेंट्स से लेकर उनके पैरेंट्स और टीचर्स को नतीजों का अब बेसब्री से इंतजार है. ज़्यादातर स्टूडेंट्स का कहना है कि उन्होंने इस बार की लिखित परीक्षा को लेकर काफी तैयारी की थी और उन्हें काफी बेहतर नम्बर्स मिलने की उम्मीद थी, लेकिन कोरोना ने उनकी पूरी तैयारियों पर पानी फेर दिया. हालांकि यह सभी ये ज़रूर मानते हैं कि महामारी के मुश्किल वक़्त में इम्तहान से ज़्यादा ज़रूरी जीवन बचाना था. स्टूडेंट्स का कहना है कि अगर वह अपने मार्क्स से संतुष्ट नहीं हुए तो इम्प्रूवमेंट इम्तहान देंगे.


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