Gorakhpur News: यूपी एटीएस की गोरखपुर यूनिट को बड़ी कामयाबी मिली है. वाट्सएप चैट की मदद से दो पाकिस्‍तानी और एक कश्‍मीर के श्रीनगर के रहने वाले आतंकी को गिरफ्तार कर उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया. इनमें से एक आतंकी हिजबुल मुजाहिदीन से ट्रेनिंग भी ले चुका है. एटीएस और खुफिया एजेंसी की सक्रियता की वजह से चुनाव के पहले बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम देने का मंसूबा लेकर भारत में प्रवेश कर रहे आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया गया.


यूपी एटीएस की गोरखपुर इकाई को सूचना मिली कि कुछ पाकिस्‍तानी आंतकी जो आईएसआई के माध्‍यम से हिजबुल मुजाहिदीन से ट्रेनिंग ले चुके हैं. वो भारत में आईएसआई की मदद से नेपाल के रास्‍ते प्रवेश करने की फिराक में थे. उन्‍हें भारत में चुनाव के समय बड़ी आतंकी घटना को अंजाम देने की फिराक में रहे हैं. एटीएस को ये सूचना मिलने के बाद पूरी टीम सक्रिय हो गई. उन्‍होंने महराजगंज जिले के सोनौली बार्डर से तीन संदिग्‍ध को अवैध रास्‍ते से प्रवेश के दौरान अरेस्‍ट कर लिया.


पाकिस्तान के रहने वालें हे दो आतंकी 
एटीएस गोरखपुर यूनिट ने कड़ाई से पूछताछ की तो उन्‍होंने अपने मंसूब के बारे में बता दिया. इनमें दो पाकिस्‍तानी नागरिकों की पहचान पाकिस्‍तान के रावलपिंडी के सादिकाबाद के मकान नंबर 559 के रहने वाले मोहम्‍मद अल्‍ताफ भट पुत्र खिजर मोहम्‍मद भट के रूप में हुई है. दूसरे की पहचान पाकिस्‍तान के इस्‍लामाबाद के जामिया अली मुर्तजा मस्जिद तरामणि चौक इरफानाबाद के एफ-87 हाउस नंबर 19 के रहने वाले सैयद गजनफर पुत्र सैयद मोहम्‍मद सैयद के रूप में हुई है. तीसरे आतंकी की पहचान भारत के जम्‍मू एंड कश्‍मीर के श्रीनगर के रहने कराली पोरा हवल के रहने वाले नासिर अली पुत्र गुलाम अहमद अली के रूप में हुई है. तीनों आतंकियों ने एटीएस की पूछताछ में बताया कि वो भारत में बड़ी आतंकी घटना को अंजाम देने की फिराक में आए थे. उन्‍हें जम्‍मू कश्‍मीर जाना था. नेपाल के रास्‍ते वो भारत में प्रवेश करने की फिराक में थे.


एटीएस को सूचना मिली थी कि भारत के महराजगंज जिले के तटवर्ती गांव शेख फरेंदा के गुप्त रास्‍ते दो पाकिस्‍तानी और एक कश्‍मीरी नागरिक भारत में प्रवेश करने वाले हैं. एटीएस की सक्रियता और सटीक सूचना पर इन तीनों को भारत-नेपाल के सोनौली बार्डर से अरेस्‍ट कर लिया गया. पाकिस्‍तान से आए दोनों आतंकी अवैध रूप से भातर में प्रवेश करने व फर्जी दस्‍तावेजों के आधार पर खुद को भारतीय नागरिक बता रहे थे.


भारत में आतंक फैलाने के लिए कश्मीरियों को ला रहे साथ
मोहम्‍मद अल्‍ताफ भट कारगिल युद्ध के बाद हिजबुल मुजाहिदीन के एक आतंकी के साथ जिहाद की ट्रेनिंग के लिए चला गया. वो चाहता था कि कश्‍मीर पाकिस्‍तान का हिस्‍सा बने. अल्‍ताफ ने पाकिस्‍तान के मुजफ्फराबाद में आईएसआई के निर्देशन में हिजबुल मुजाहिदीन के मुजफ्फराबाद कैम्‍प में जेहादी प्रशिक्षण लिया. उसने कुबूल किया है कि पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई कश्‍मीर स्थित आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के साथ मिलकर भारत में आतंक फैलाने के उद्देश्‍य से भारतीय और कश्‍मीरियों को जोड़ रहे हैं. वो हिजबुल मुजाहिदीन का साहित्य पढ़कर तथा अन्य जेहादी संगठनो के अमीर उस्तादों की तकरीरे (भाषण) सुनकर उनसे प्रभावित हुआ.


अलताफ़ ने हिजबुल के कैम्प में असलहों की ट्रेनिंग की और लम्बे समय तक कैम्प में रहकर वहां के कमाण्डरों के दिशा-निर्देशन में काम किया. अलताफ को एचएम के मुजाहिदों से हिदायत मिली थी कि वो खुफिया तौर से नेपाल के रास्ते जम्मू-कश्मीर, भारत में पहुंचे जहां पर उसे आगे के प्लान के बारे में बताया जाएगा. अलताफ़ को नेपाल के काठमाण्डू में ही आईएसआई के हैंडलर के बताए अनुसार नासिर  मिला, जिसने अलताफ़ और गजनफर को फेक भारतीय आधार कार्ड उपलब्ध करवाए. 


नासिर बताता था भारत आने का रास्ता
नासिर ने ही इन दोनों को शेख फरेन्दा गाँव के रास्ते भारत आने के लिए बताया था. नासिर अली कश्मीर का रहने वाला है. व्हॉट्सअप के जरिए इसका संपर्क पाकिस्तानी खुफिया एजेन्सी आईएसआई के सलीम नाम के व्यक्ति से हुआ था. सलीम ने नासिर को बताया कि तुम्हारे मामू गजनफर के साथ एक और व्यक्ति को पाकिस्तान से भेज रहा है, जिन्‍हे लेकर उसे भारत के जम्मू-कश्मीर जाना है.


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