लखनऊ: फर्जी आईडी से प्री एक्टिवेटेड सिमकार्ड खरीदकर बैंक खाते खुलवाने और करोड़ों रुपए का अवैध ट्रांजैक्शन करने के मामले में यूपी एटीएस ने एक और बड़ी गिरफ्तारी की है. यूपी एटीएस की टीम ने गुरुवार को तेलंगाना के विकाराबाद मरपल्ली स्थित बुचनपल्ली गांव निवासी प्रशांत कुमार पोट्टली को गिरफ्तार किया है. पोट्टली को आज शाम तक ट्रांजिट रिमांड पर लखनऊ ले आया जाएगा. यहां उससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रहे आर्थिक अपराध और मनी लॉन्ड्रिंग के रैकेट के बारे में पूछताछ की जाएगी.


एटीएस की टीम को मिले संवेदनशील दस्तावेज


यूपी एटीएस की टीम ने प्रशांत कुमार पोट्टली के अलावा महाराष्ट्र के ठाणे निवासी अब्दुल रजाक उर्फ अब्दुल नबी मेमन के घर पर भी दबिश दी थी. दोनों का नाम जनवरी में पकड़े गए इस रैकेट के मास्टरमाइंड मुरादाबाद के प्रेम सिंह व अन्य आरोपियों से हुई पूछताछ में सामने आया था. एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि पोट्टली घर पर मिल गया जबकि, अब्दुल रजाक का सुराग नहीं लग सका. दोनों के घर से यूपी एटीएस को मनी लॉन्ड्रिंग से सम्बंधित महत्वपूर्ण व संवेदनशील दस्तावेज मिले हैं, जिन्हें कब्जे में लेकर जांच की जा रही है. एडीजी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक अपराध और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त इस रैकेट का भंडाफोड़ जनवरी में हुआ था.


जनवरी में हुआ था भंडाफोड़


यूपी एटीएस की टीम ने 8 जनवरी को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने और देश की सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील व गोपनीय सूचनाएं पाकिस्तान भेजने वाले रिटायर्ड फौजी सौरभ शर्मा को अरेस्ट किया था. सौरभ ने पूछताछ में फर्जी आईडी से सिमकार्ड खरीदकर बैंकों में खाता खोलने और उन खातों में करोड़ों रुपए के अवैध ट्रांजैक्शन की जानकारी दी थी. एटीएस के अधिकारियों का मानना है कि, फर्जी तरीके से खोले गए बैंक खातों में टेरर फंडिंग और हवाला की रकम का लेनदेन होता था.


इस मामले में एटीएस ने गोमतीनगर स्थित अपने विशेष थाने में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक अपराध और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के आरोप में एफआईआर दर्ज कर मुरादाबाद से प्रेम सिंह व एक अन्य व्यक्ति के अलावा संभल से 5 और अमरोहा से 2 व्यक्तियों समेत कुल 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. विवेचना के दौरान तीन चीनी नागरिकों का भी नाम सामने आया था. जिसमें एक महिला शामिल थी. इन तीनों को भी यूपी एटीएस ने गिरफ्तार कर लिया था. चीनी नागरिकों ने पूछताछ में फर्जी तरीके से खोले गए बैंक खाते में 5 करोड़ रुपये के ट्रांजैक्शन की बात कुबूल की थी. तीनों का वीजा एक्सपायर हो चुका था, इसके बाद भी वह कई महीने से देश में छिपकर रह रहे थे.


कोरोना महामारी के दौरान बैंकिंग सिस्टम के लूपहोल का उठाया था लाभ


यूपी एटीएस की छानबीन में पता चला कि शातिरों ने कोरोना महामारी के दौरान बैंकिंग सिस्टम के लूपहोल्स का लाभ उठाया था. दरअसल महामारी के दौरान बैंकों ने केवाईसी का सिस्टम काफी आसान कर दिया था. इसके लिए बैंकों ने ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की थी. ठगों ने फर्जी आईडी से सिमकार्ड लेकर बैंकों में खाते खुलवाए और ऑनलाइन ही केवाईसी की प्रक्रिया कराकर लेनदेन शुरू कर दिया. रैकेट के मास्टरमाइंड प्रेम सिंह ने जुलाई 2020 से जनवरी 2021 के बीच हजारों प्री एक्टीवेटेड सिमकार्ड खरीदे और दिल्ली व एनसीआर के लोगों को अच्छी कीमत में यह सिमकार्ड बेचे. एक चीनी नागरिक ने भी फर्जी आईडी पर सिमकार्ड खरीदा था. छानबीन में पता चला कि चीनी नागरिक ने उक्त सिमकार्ड की मदद से विभिन्न बैंकों में खाता खुलवाए और अज्ञात स्रोतों से रुपया मंगा कर खातों से निकाल लिया.


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