उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) कहां से चुनाव लड़ेंगे, इस पर अभी भी संदेह बना हुआ है. दिल्ली में हुई उत्तर प्रदेश पर बीजेपी (BJP) की कोर कमेटी की बैठक में भी इसको लेकर चर्चा हुई. पहले योगी के अयोध्या, मथुरा या गोरखपुर से चुनाव लड़ने की चर्चा थी, लेकिन अब यह बात साफ हो गई है कि वो मथुरा से चुनाव नहीं लड़ेगे.  आइए अब जानते हैं कि योगी आदित्यनाथ के अयोध्या या गोरखपुर सीट से चुनाव लड़ने की संभावना क्या है. इसका बीजेपी के लिए नफा-नुकसान क्या है. 


योगी आदित्यनाथ की उम्मीदवारी पर कौन लेगा फैसला


दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में उत्तर प्रदेश कोर ग्रुप के दूसरे दौर की बैठक दो दिन चली. इसमें बीजेपी में उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा हुई. इस बैठक में योगी आदित्यनाथ की उम्मीदवारी पर भी चर्चा हुई. गुरुवार को बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हो सकती है. इसमें उम्मीदवारों के नाम पर अंतिम मुहर लगेगी. इस बैठक के बाद कहा जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ अयोध्या या गोरखपुर से चुनाव लड़ सकते हैं.


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योगी आदित्यनाथ के अयोध्या से चुनाव लड़ने की प्रबल संभावना है. इससे बीजेपी और संघ परिवार का हिंदुत्व वाला एजेंडा चलेगा. जिस तरह से योगी आदित्यनाथ ने कट्टर हिंदुत्ववादी की छवि बनाई है, उसका फायदा बीजेपी को उनके अयोध्या से चुनाव लड़ने पर पूरे प्रदेश में मिल सकता है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है. इस वजह से अयोध्या अब बीजेपी के लिए उतना बड़ा मुद्दा नहीं रहा है. लेकिन अगर योगी आदित्यनाथ अयोध्या से चुनाव लड़ते हैं तो न सिर्फ अयोध्या मुद्दे को जिंदा रखा जा सकता है, बल्कि हिंदुत्व की राजनीति को धार दी जा सकती है. 


अयोध्या और बीजेपी की राजनीति


अयोध्या भले ही बीजेपी की राजनीति का बड़ा पड़ाव रहा हो. लेकिन अयोध्या कभी उसका मजबूत गढ़ कभी नहीं रहा. अयोध्या में बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस और सपा-बसपा का भी दबदबा रहा है. वैसे में अगर योगी आदित्यनाथ अयोध्या से चुनाव लड़ते हैं तो बीजेपी के हिंदुत्व का एजेंडा आगे बढ़ेगा और उसे विस्तार मिलेगा. इसका फायदा बीजेपी को पूरे चुनाव में मिल सकता है. योगी आदित्यनाथ जिस गोरखनाथ मंदिर के महंत हैं, उसका अयोध्या से बहुत पुराना नाता है. राम मंदिर के मुद्दे को राजनीति के केंद्र में लाने का इस मंदिर का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है. गोरखनाथ मंदिर के महंत दिग्विजयनाथ 1948 में ही रामजन्मभूमि आंदोलन से जुड़ गए थे. योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ भी इस आंदोलन से प्रमुखता से जुड़े रहे. 


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योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर से भी चुनाव लड़ने की चर्चा है. गोरखपुर योगी आदित्यनाथ के लिए सुरक्षित सीट तो हो सकता है. लेकिन उनके वहां से चुनाव लड़ने से बीजेपी को कोई खास लाभ नहीं होगा. गोरखपुर पहले से ही बीजेपी का गढ़ रहा है. पिछले कई दशक से गोरखपुर संसदीय सीट और विधानसभा सीटें बीजेपी के कब्जे में रही हैं. गोरखपुर और उसके आसपास की सीटें बीजेपी जीतती रही है. इसमें योगी आदित्यनाथ, महंत अवैद्यनाथ और महंत दिग्विजयनाथ इसका प्रतिनिधित्व करते रहे हैं.


बीजेपी में बगावत


दूसरी बात यह कि गोरखपुर सदर सीट से विधायक डॉक्टर राधामोहन दास अग्रवाल एक कद्दावर नेता हैं. साल 2002 से वो लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं. उनका टिकट काटकर बीजेपी एक और बगावत को जन्म नहीं देना चाहेगी. खासकर ऐसे समय में जब कैबिनेट मंत्री स्तर के नेता पार्टी छोड़कर दूसरे दलों में जा रहे हैं. ऐसे में योगी आदित्यनाथ के लिए अयोध्या एक ऐसी सीट हो सकती है जो बीजेपी की राजनीति को नई धार देगी.


एबीपी और सी वोटर के एक सर्वे में भी यह बात निकलकर सामने आई थी कि योगी आदित्यनाथ को अयोध्या से ही चुनाव लड़ना चाहिए. इस सर्वे में लोगों से पूछा गया था कि क्या योगी अयोध्या से लड़ेंगे तो बीजेपी को फायदा होगा. जनता ने इस सवाल के जवाब में 56 फीसदी लोगों ने हां में जवाब दिया. वहीं 31 फीसदी लोगों का कहना था कि नहीं योगी आदित्यनाथ के अयोध्या से चुनाव लड़ने से बीजेपी को फायदा नहीं होगा. केवल 13 फीसदी लोगों ने इस सवाल के जवाब में पता नहीं का विकल्प चुना.


योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक सफर


योगी आदित्यनाथ ने अपना राजनीतिक करियर गोरखपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़कर शुरू किया था. वो 26 साल की उम्र में पहली बार 1998 में लोकसभा के लिए चुने गए थे. इसके बाद से वो लगातार 5 बार गोरखपुर संसदीय सीट से जीते. मार्च 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद सदन में जाने के लिए योगी आदित्यनाथ ने विधान परिषद का रास्ता चुना था.  अगर योगी आदित्यनाथ चुनाव लड़ते हैं तो यह उनका पहला विधानसभा चुनाव होगा.