उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) के तीसरे चरण का मतदान 20 फरवरी को होगा. इस दौर में कासगंज, एटा, हाथरस, मैनपुरी, फिरोजाबाद, फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर नगर, कानपुर देहात, औरैया, जालौन, हमीरपुर, महोबा, झांसी, ललितपुर और इटावा में मतदान होगा. इनमें से इटावा, औरैया, फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, कन्नौज, कासगंज और फर्रुखाबाद को समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का गढ़ माना जाता है. आइए जानते हैं कि इस सपा के इस गढ़ में कैसा रहा है मुकाबला.
सपा और बीजेपी ने कब-कितनी सीटें जीतीं?
सपा के गढ माने जाने वाले इन 8 जिलों में विधानसभा की कुल 28 सीटें हैं. साल 2017 के चुनाव में बीजेपी ने इनमें से 22 सीटों पर अपना परचम लहराया था. समाजवादी पार्टी केवल 6 सीटें ही जीत पाई थी. इसे सपा का गढ़ इसलिए कहा जाता है कि इन 28 में से करीब 20 सीटें ऐसी हैं, जहां यादव और मुसलमान मतदाताओं की आबादी करीब 40 फीसदी है. इन दो वर्गों को सपा का आधार वोट बैंक माना जाता है. इसे इस तरह समझ सकते हैं कि 2012 में सपा के जो 26 उम्मीदवार जीते थे, उनमें से 10 यादव थे. वहीं 2017 में सपा ने जो 6 सीटें जीतीं, उनमें से 4 यादव और 2 अनुसूचित जाति के थे. यादवों के बाद इस जिलों में सबसे बड़ी आबादी शाक्य और लोध की मानी जाती है. बीजेपी ने 2017 में जो 22 सीटें जीती थीं, उसमें 3 शाक्य, 3 लोध, 3 ब्राह्मण और 4 राजपूत थे.
वहीं इससे पहले 2012 के चुनाव में यादव लैंड में सपा का लाल झंडा लहराया था. उसने 28 में से 26 सीटों पर कब्जा जमाया था. बीजेपी और बसपा के खाते में केवल एक-एक सीट आई थी. उस चुनाव में समाजवादी पार्टी ने मैनपुरी, फर्रुखाबाद, एटा, कन्नौज, इटावा और औरैया की सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी. बीजेपी को केवल फीरोजाबाद में एक सीट मिली थी.
इस चुनाव में बीजेपी की रणनीति क्या है?
इस बार के चुनाव में बीजेपी और सपा के सामने अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है. इसी चुनौती से पार पाने के लिए अखिलेश यादव इस बार खुद मैनपुरी की करहल सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी ने उनके खिलाफ कभी मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे एसपी सिंह बघेल को चुनाव मैदान में उतारा है.
ऐसा नहीं है कि यादव लैंड के नाम से मशहूर इन जिलों में बीजेपी ने केवल करहल में ही सपा के पुराने नेताओं को मैदान में उतारा है. करहल के अलावा बीजेपी ने फिरोजाबाद की शिकोहाबाद सीट पर ओमप्रकाश निषाद, मैनपुरी की किशनी (एसी) सीट पर आशु दिवाकर और फिरोजबाद सिरसागंज सीट स हरिओम यादव को चुनाव मैदान में उतारा है. बीजेपी इसे जहां अपनी रणनीति बता रही है, वहीं सपा नेता कहते हैं कि बीजेपी को उम्मीदवार नहीं मिले तो उसने सपा के पुराने नेताओं को मैदान में उतारा.
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि 2022 के चुनाव में यादव लैंड में सपा का लाल झंडा लहराता है या बीजेपी का झंडा इसके लिए आपको 10 मार्च तक का इंतजार करना होगा.