बीजेपी (BJP) सांसद रीता बहुगुणा जोशी ( Rita Bahuguna Joshi) के बेटे मयंक जोशी (Mayank Joshi) बीजेपी छोड़ सपा (Samajwadi Party) में शामिल हो गए हैं. सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने उन्हें 5 मार्च को आजमगढ़ (Azamgarh) की एक चुनावी रैली में पार्टी में शामिल करवाया. मयंक लखनऊ की कैंट (Lucknow Cant) सीट से टिकट मांग कर रहे थे, लेकिन बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. इससे वो नाराज थे. बीजेपी ने लखनऊ कैंट सीट से वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री ब्रजेश पाठक को उम्मीदवार बनाया है. मयंक जोशी ने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में बताया है कि वो किस वजह से बीजेपी छोड़ समाजवादी पार्टी में शामिल हुए हैं.उनका कहना है कि बीजेपी में ब्राह्मणों के साथ भेदभाव होता है.


मयंक जोशी को अखिलेश यादव की कौन सी नीति पसंद आई?


मयंक ने बताया कि वो सपा प्रमुख अखिलेश यादव की प्रोग्रेसिव सोच से प्रभावित होकर सपा में शामिल हुए हैं. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ने चुनाव में विकास, महिला सुरक्षा, एमएसपी, किसानों, युवाओं, लैपटॉप और टैबलेट की बात की. वहीं दूसरी ओर सत्ता पक्ष से देखिए कि क्या बात हो रही है. उन्होंने कहा कि जो आदमी विकास और प्रदेश को आगे ले जाने की बात करे, एक युवा होने के नाते हमें उसके साथ खड़े होना चाहिए.उनका कहना था कि काफी सोच-विचार के बाद सपा में शामिल होने का फैसला किया है.मयंका का कहना है कि उत्तर प्रदेश का भविष्य अखिलेश यादव के हाथों में सुरक्षित है.


बीजेपी का परिवारवाद क्या है?


बीजेपी की ओर से सपा पर लगाए गए परिवारवाद के आरोपों पर मयंक बीजेपी नेताओं की एक सूची गिनाते हैं, जिनका परिवार बीजेपी में है. इसमें वो चुनाव के सहप्रभारी अनुराग ठाकुर, राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के परिवार, बिहार के राज्यपाल फागू चौहान, मोहनलालगंज के सांसद के परिवार और गोण्डा के सांसद बृजभूषण शरण सिंह के बेटे का नाम गिनाते हैं. वो कहते हैं कि परिवारवाद सलेक्टिव नहीं हो सकता, सबके लिए एकसमान नियम होने चाहिए. 


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क्या बीजेपी ने ब्राह्मणों से भेदभाव किया?


इसके साथ ही वो एक और सूची गिनाते हैं.यह सूची उन नेताओं की है, जिन्होंने अपने बेटे-बेटियों के लिए विधानसभा चुनाव के टिकट की मांग की थी. इसमें वो अपनी मां रीता बहुगुणा जोशी, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, सत्यदेव पचौरी और विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित का नाम गिनाते हैं. वो कहते हैं कि इनमें से किसी को भी बीजेपी ने टिकट नहीं दिए, लेकिन अन्य जाति-वर्ण के लोगों के साथ ऐसा नहीं किया गया. उनका कहना था कि बीजेपी से पूछा जाना चाहिए कि क्या आपको ब्राह्मणों से एलर्जी है? वो कहते हैं कि बीजेपी को लगता है कि ब्राह्मण उसे ही वोट करेगा, लेकिन ऐसा नहीं है इसका खमियाजा बीजेपी को चुनाव में भुगतना पड़ेगा.मयंक पूछते हैं कि ब्राह्मणों के साथ ऐसा क्यों हुआ.