UP Privatization of Electricity: यूपी में दो पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण की प्रक्रिया के बीच संविदा कर्मियों  की नौकरियों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. जिसके बाद अब विद्युत कर्मचारी संघ ने इसका विरोध शुरू कर दिया है. आरोप है कि निजीकरण की तैयारी के बीच 25 फीसद तक संविदाकर्मियों की संख्या कम की जा रही है. उनके कॉन्ट्रेक्ट की अवधि समाप्त होने के बाद उन्हें रिन्यू नहीं किया जा रहा है. 

विद्युत कर्मचारी संगठनों का कहना है कि पहले एक बार अनुबंध खत्म होने के बाद सौ फीसद तक संविदाकर्मियों के कॉन्ट्रेक्ट का नवीनीकरण कर दिया जाता था लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है. कई ऐसे कर्मचारी हैं जिनके कॉन्ट्रेक्ट को रिन्यू नहीं किया जा रहा है और इस तरह उन्हें काम से हटाया जा रहा है. बिजली के निजीकरण की वजह से इस बार सिर्फ 50-60 फीसद तक ही संविदा कर्मियों के अनुबंध का नवीनकरण किया जा रहा है. 

कर्मचारी संगठनों ने छंटनी का विरोध कियाकर्मचारी संगठनों का कहना है कि इस बार उन लोगों का भी कॉन्ट्रेक्ट रिन्यू नहीं किया जा रहा जिनकी उम्र 55 साल से कम है. इस तरह से लोगों को काम से हटाया जा रहा है. पावर कॉरपोरेशन निविदा, संविदा कर्मचारी संघ के महामंत्री देवेंद्र कुमार ने कहा कि ये पहली बार है कि विद्युत विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों की इतने बड़े स्तर पर छंटनी की जा रही है. अभी तक जितने संविदाकर्मी हटाए गए हैं उनमें से 1200 ऐसे हैं जिनकी उम्र 55 साल से भी कम है. 

इसी तरह से अगर विद्युत विभाग में संविदा कर्मियों को हटाया गया तो प्रदेशभर में से क़रीब 20 हजार संविदाकर्मियों की सेवाएं समाप्त हो जाएगी. देवेंद्र पांडेय ने कहा कि क़रीब 25 फ़ीसद तक संविदाकर्मी हटाए जा रहे हैं और ये सब निजीकरण के लिए और निजी घरानों के फायदे के लिए किया जा रहा है. संविदाकर्मियों के टेंडर में ही इस तरह की व्यवस्था की गई है जिससे उनकी छंटनी हो जाएगी. 

वहीं उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन ने इन आरोपों से इनकार किया है. कॉर्पोरेशन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि संविदाकर्मियों छंटनी का कोई आदेश नहीं हैं, अनुबंध की शर्तों के हिसाब से ही उनसे काम लिया जाता है. 

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