Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट के दुरुपयोग को लेकर सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने इस मामले में बड़ी कार्यवाही करते हुए मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी (DM), वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) और खालापार थाना प्रभारी को 7 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से हाईकोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है. कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए तलब किया है.

कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट के तहत की गई एक कार्यवाही पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि इस एक्ट का गलत इस्तेमाल किया गया है. न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए स्पष्ट किया कि यह कानून संगठित अपराध और अपराधियों पर नियंत्रण के लिए बना है, न कि आम लोगों या निजी रंजिश के मामलों में इसे बिना जांच-पड़ताल के लागू कर दिया जाए.

गैंगस्टर एक्ट का हुआ दुरुपयोगमामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पष्ट असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि स्थानीय प्रशासन और पुलिस की लापरवाही गंभीर चिंता का विषय है. खालापार थाने में दर्ज एक मामले में गैंगस्टर एक्ट के अंतर्गत की गई कार्यवाही में प्रक्रियागत खामियों की ओर भी कोर्ट का ध्यान गया. हाईकोर्ट ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि संबंधित SHO ने मामले की निष्पक्ष जांच नहीं की, बल्कि जल्दबाजी में कठोर कानूनी धाराएं लागू कर दीं. अधिकारियों की लापरवाही पर कोर्ट ने तलब किया है.

कोर्ट ने डीएम और एसएसपी से पूछा है कि आखिर किस आधार पर ऐसी कार्यवाही को मंजूरी दी गई, और क्यों जरूरी तथ्यों की अनदेखी की गई. कोर्ट ने तीनों अधिकारियों को चेताते हुए कहा कि यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो कठोर आदेश पारित किए जा सकते हैं. अब इस मामले की सुनवाई 7 जुलाई को होगी जब मुजफ्फरनगर के डीएम, एसएसपी और थाना प्रभारी खालापार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होकर जवाब देना होगा. यह मामला यूपी में प्रशासनिक जवाबदेही और कानून के दुरुपयोग को लेकर एक अहम मिसाल बन सकता है.