Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के उन्नाव (Unnao) में तैनात सरकारी रेलवे पुलिस (GRP) के हेड कांस्टेबल रोहित कुमार यादव का ट्रांसफर हो गया. रोहित कुमार के ट्रांसफर की खबर से जहां गांव वाले उदास हो गए है. वहीं बच्चे रोने लगे. बता दें कि रोहित कुमार यादव सिकंदरपुर कर्ण ब्लॉक के गांव कोरारी कला में सितंबर 2018 से अपनी ड्यूटी के बाद लगभग 125 बच्चों को पढ़ाने का काम करते थे. हाल ही में उनका तबादला झांसी के सिविल पुलिस में किया गया.
खुद के पैसे से पढ़ाया बच्चों को
जब रोहित कुमार जाने से पहले बच्चों से मिले तो वे फूट-फूट कर रोने लगे. बच्चों ने उन्हें गले लगा लिया और उनसे न जाने का आग्रह करने लगे. रोहित कुमार 2005 में उत्तर प्रदेश पुलिस बल में शामिल हुए थे. उन्होंने कहा मैं अपने पिता चंद्र प्रकाश यादव के नक्शेकदम पर चल रहा हूं. उन्होंने हमारे पैतृक गांव इटावा में 1986 में गरीब किसानों के बच्चों के लिए एक स्कूल खोला था. जब मैं 2018 में जीआरपी में शामिल हुआ तो मैं अक्सर वंचित परिवारों के बच्चों को कोरारी रेलवे स्टेशन के पास ट्रेनों में भीख मांगते देखता था. इनके अभिभावकों से बात करने के बाद मैंने रेलवे स्टेशन के बगल में एक ओपन-एयर स्कूल 'हर हाथ में कलम पाठशाला' शुरू किया.मैंने अपने वेतन में से आठ हजार रुपये प्रति माह बच्चों के लिए किताबें, स्टेशनरी और यहां तक कि कपड़े की व्यवस्था के लिए खर्च किए.
झांसी में हुआ ट्रांसफर
चूंकि यह एक स्वैच्छिक प्रयास था, इसलिए मैं अपनी ड्यूटी के घंटों के बाद उन्हें पढ़ाता था. रोहित कुमार ने कहा उन्नाव के तत्कालीन जिला परिवीक्षा अधिकारी राजेंद्र कुमार को इस पहल के बारे में जब पता चला तो उन्होंने मुझे कोरारी कलां गांव में कक्षाएं संचालित करने के लिए एक पंचायत कार्यालय की पेशकश की. बाद में कुछ और लोग छात्रों को पढ़ाने के लिए मेरे साथ जुड़ गए. तीन बच्चों के पिता रोहित कुमार ने कहा कि जब भी उन्हें बच्चों को पढ़ाने का समय मिलेगा वह गांव का दौरा करते रहेंगे. हालांकि, उनकी झांसी में स्कूल खोलने की कोई योजना नहीं है. उन्नाव सरकारी रेलवे पुलिस के एसएचओ राज बहादुर ने कहा मैंने कभी ऐसा पुलिस वाला नहीं देखा जो बच्चों के कल्याण के लिए इतना समर्पित हो. वह अपनी नियमित पुलिस ड्यूटी भी करता रहता है. वह एक रोल मॉडल है.
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