Gorakhpur Incident: बाढ़ में ओवरलोड चल रही नाव से लोगों की जान को भी खतरा पैदा हो गया है. शनिवार की रात 8 बजे के करीब गोरखपुर (Gorakhpur) के खजनी थानाक्षेत्र के महुआडाबर में नाव पलटने से बुआ-भतीजे की डूबने से हुई दर्दनाक मौत से मातम छा गया. वहीं, बाढ़ग्रस्‍त क्षेत्रों (Flooded areas) में नाव पर्याप्‍त मात्रा में नहीं मिलने से लोगों को ओवलोड नाव पर ही सफर करना पड़ रहा है. ऐसे में उनकी जान का खतरा भी बढ़ गया है. ऐसे में लोगों को डोंगी और ट्यूब का भी सहारा लेना पड़ रहा है, जो जानलेवा है. हैरत की बात ये है कि इन ओवरलोड नावों में छोट-छोटे बच्‍चे भी गोद में दिख रहे हैं.


रात 8 बजे हुआ हादसा


गोरखपुर में शनिवार की शाम सीएम योगी आदित्‍यनाथ गोरखपुर में खजनी के उनवल में बाढ़ पीडि़तों को राहत सामग्री बांट रहे थे. उसके बाद ही रात 8 बजे  खजनी थानाक्षेत्र के महुआडाबर गांव में दर्दनाक खबर आई. वहां पर डोंगी पलटने से पिंकी पुत्री मकसूद निषाद 30 वर्ष और उसका भतीजा विवेक पुत्र अनिल निषाद 6 वर्ष की डोंगी पलटने से मौत हो गई. शनिवार की रात लगभग 8 बजे ये हादसा हुआ. रामकिशन मल्लाह और पंकज उपाध्याय सहित अन्य ग्रामीणों ने नदी के गहरे  पानी में उनको ढूंढ कर सदर पहुंचाया, जहां डॉक्टर ने उन दोनों को मृत घोषित कर दिया. डोंगी नाव पर सवार पांच अन्‍य लोगों को ग्रामीणों ने बचा लिया.


बारिश से नदियां उफनाई


गोरखपुर में बीते एक माह से बारिश और नेपाल के पहाड़ों से राप्‍ती, रोहिन, घाघरा, आमी, गोर्रा और कुआनो नदियों के ऊफान से शहर और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. गोरखपुर के चौरीचौरा के जोगिया में राजधानी-सिलहटा, अमवा और कौड़ीराम के भरव‍लिया-बसावनपुर में रिंग बांध के टूटने से डेढ़ दर्जन से अधिक की आबादी प्रभावित हो गई है. लोगों ने बंधों पर शरण ली है. शहर के निचले इलाकों के साथ ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की भी दुश्वारियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. यही वजह है कि अधितकर ग्रामीणों को बंधों पर शरण लेनी पड़ी है. बीते 24 घंटे में राप्‍ती और रोहिन के जलस्‍तर में उतार आया है, लेकिन फिर भी खतरा बरकरार है.


कम नहीं हो रही हैं मुश्किलें


गोरखपुर प्रशासन लगातार राहत सामग्री, राशन किट और चिकित्‍सा सुविधा के साथ नाव लगाने के दावे कर रहा है. क्‍योंकि बाढ़ पीडि़तों को हर संभव मदद, राशन और राहत सामग्री के वितरण के दावे बंधे पर पानी-पानी हो गए हैं. क्‍योंकि जहां हजारों की आबादी प्रभावित है, वहां थोड़ी सी मदद से कितनी राहत मिल सकती है, इसका अंदाजा आप लोगों का गुस्‍सा देखकर लगा सकते हैं. गोरखपुर शहर के पश्चिमी छोर उत्‍तरी कोलिया की रहने वाली निशा प्रशासनिक मदद के सवाल पर नाराज होते हुए कहती हैं कि एक बार मदद मिलने से पूरे परिवार का गुजारा कितने दिन तक होगा. वे कहती हैं कि पानी बहुत ज्‍यादा है. छत पर रह रही हैं. खाने-पीने, नाव और लाइट की दिक्‍कत है.


कोलिया की रहने वाली इंद्रवासी बताती हैं कि बाढ़ से बहुत दिक्‍कत है. लाइट, पानी, मिट्टी का तेल की दिक्‍कत है. एक बार राशन मिला है. बाल-बच्‍चे, गाय-भैंस और परिवार के लोग परेशान हैं. दो-चार मोमबत्‍ती जलकर खत्‍म हो जा रही है. उत्‍तरी कोलिया के रहने वाले संतोष कुमार और परसन बताते हैं कि नदी थोड़ी घटी है. लेकिन तबाही की कगार पर ही वे लोग रह रहे हैं. वे बताते हैं कि घरों में पानी घुस गया है. वे लोग बंधे पर शरण लिए हुए हैं. उन्‍होंने बताया कि बाढ़ की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. लोगों को छतों पर शरण लेनी पड़ी है. बिजली, पानी और खाने की दिक्‍कत है. पशुओं का चारा भी नहीं निकाल पाए हैं. सड़क पर आशियाना बनाए हैं.


300 गांव प्रभावित हुए


गोरखपुर के प्रभारी अपर जिलाधिकारी नगर/अपर जिलाधिकारी वित्‍त एवं राजस्‍व राजेश सिंह ने बताया कि 300 के आसपास गांव प्रभावित हैं. 25 हजार से ऊपर राहत सामग्री का वितरण किया जा चुका है. उन्‍होंने बताया कि पूरे जनपद में 350 से ऊपर नाव लगाई गई है. प्रशासन भले ही नाव लगाने और राहत सामग्री के वितरण के दावे कर रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि अभी राशन के साथ राहत सामग्री और नाव के और अधिक इंतजाम करने होंगे.



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