लखनऊ: देश जब गुलाम था तब सन 1922 के फरवरी महीने में गोरखपुर से सटे चौरी चौरा में एक ऐसी घटना हो गई जिसके बाद अंग्रेजी सरकार के खिलाफ जो नॉन को-ऑपरेशन मूवमेंट चलाया जा रहा था उसे एक झटके से पूरे देश में वापस ले लिया गया था. हालांकि इतिहास के पन्नों में से चौरी चौरा कांड का नाम दिया गया लेकिन अब प्रदेश की योगी सरकार चौरी चौरा के इतिहास को सबके सामने लाने के लिए चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव करने जा रही है. इसकी शुरुआत 4 फरवरी को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे.


चौरी चौरा की घटना को इतिहास में जिस ढंग से पेश किया गया है उससे चौरी चौरा का की एक दूसरी तस्वीर सबके सामने रखी गई. लेकिन अब योगी सरकार की कोशिश है कि चौरी चौरा का सही इतिहास सबके सामने आए और वहां के शहीदों को उचित सम्मान मिल सके. इसके लिए 4 फरवरी से चौरी चौरा शताब्दी कार्यक्रम की शुरुआत सरकार करने जा रही है. कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए करेंगे. इतना ही नहीं चौरीचौरा के शहीदों के सम्मान में वह एक डाक टिकट भी जारी करेंगे.


4 फरवरी 1922 को जो कुछ भी हुआ उसके पीछे 2 फरवरी की एक घटना शामिल है. इतिहासकार प्रोफेसर रवी भट्ट के मुताबिक, चौरी चौरा को एक कांड के तौर पर प्रस्तुत किया गया लेकिन दरअसल हकीकत कुछ और थी. वह साफ तौर पर कहते हैं कि वहां जो लोग शहीद हुए थे उन्हें इस कार्यक्रम के जरिए उचित सम्मान दिलाने की सरकार की कोशिश है और इसका स्वागत करना चाहिए. साथ ही ये भी कहते हैं कि जब इस घटना से आहत होकर महात्मा गांधी ने पूरे देश में नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट को वापस लेने का ऐलान किया तो कैसे उस वक्त जेल में बंद पंडित जवाहरलाल नेहरू ने यह कहा था कि गांधी जी ने थोड़ी जल्दी में यह फैसला ले लिया.


इतिहास के प्रोफेसर रवि भट्ट कहते हैं कि दरअसल पूरे देश में जब नॉन को-ऑपरेशन मूवमेंट चल रहा था और अंग्रेज इससे सशंकित थे तभी चौरी चौरा की इस घटना के बाद अचानक से इस मूवमेंट को वापस ले लेने से भारतीयों में निराशा सी छा गई थी.


दरअसल, चौरी चौरा महोत्सव को लेकर योगी सरकार ने एक विस्तृत रूपरेखा तैयार की है. इसमें 4 और 5 फरवरी को जहां जिलों में शहीद स्थल और स्मारकों पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और उनके परिजनों का सम्मान होगा. वहीं पुलिस बैंड अपनी प्रस्तुतियां देंगी. साथ ही साथ 4 और 5 फरवरी को पूरे प्रदेश में विशेष स्वच्छता अभियान भी चलाया जाएगा. यह शताब्दी महोत्सव वर्ष भर चलता रहेगा जिसमें अलग-अलग कार्यक्रम शामिल हैं.


इतना ही नहीं प्रदेश के सभी कमिश्नर और डीएम को बकायदा चिट्ठी जारी कर यह कहा गया है कि 4 फरवरी को जब चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव की शुरुआत हो तो सुबह 10 बजे हर जगह लोग समूह में वंदे मातरम का गायन करें. इसकe वीडियो क्लिप बनाकर शासन में अपलोड करें जिससे कि विश्व रिकॉर्ड में दर्ज कराया जा सके. सरकार ने यह भी फैसला किया है कि चौरी चौरा के पूरे इतिहास को बच्चों के स्कूली पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाएगा.


बीजेपी के नेता कह रहे हैं कि चौरी चौरा को हमेशा ही इतिहास में जगह नहीं दी गई. इसे कांड के तौर पर दिखाया गया जो कि ठीक नहीं है. उन शहीदों को सम्मान दिलाने के लिए ही सरकार अब इस शताब्दी महोत्सव कार्यक्रम को आयोजित कर रही है.


उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जब से सत्ता में आई है लगातार ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और शहीदों के सम्मान में कई कार्यक्रम किए जा चुके हैं. अब इसी कड़ी में चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव की शुरुआत की जा रही है. जाहिर है स्वतंत्रता के लिए जिन्होंने अपना बलिदान दिया उन्हें याद करने के लिए ऐसे कार्यक्रम महत्वपूर्ण हं. साथ ही साथ आने वाली पीढ़ियों को भी उनके बलिदान के बारे में पता चल सके ऐसी सरकार की मंशा है.


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