उत्तराखंड स्थित हल्द्वानी में रेलवे स्टेशन के पास बसी बस्तियों के संदर्भ में भारतीय रेलवे का दावा है कि वह उनकी जमीनों पर अतिक्रमण है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट, 10 दिसंबर को फैसला सुना सकता है. फैसले से पहले एबीपी लाइव ने स्थानीय लोगों से बात की.
एबीपी लाइव से बातचीत में स्थानीय लोग अपने घरों के टूटने को लेकर चिंतित दिखाई दिए के लोगों ने आरोप लगाया कि वह यहां पर सालों से रह रहे हैं लेकिन उन्हें अब यहां से हटाने का डर सता रहा है.
स्थानीय लोगों में से एक महिला ने एबीपी लाइव से कहा कि भूखे प्यासे मर रहे हैं. बीसियों साल से यहां रह हे हैं. बच्चे लड़कों की पैदाइश से पहले यहां रह हे हैं. जब तक सुप्रीम कोर्ट नहीं कहेगा तब तक यहां से नहीं हटेंगे.
नूर बस्ती निवासी महिला ने कहा कि सारे बच्चों को लिटा देंगे. सब पर बुल्डोजर चला दो. अगर ले रहे हो तो हमें बसाओ. अगर नहीं दे सकते तो हमें जहर देकर मार डालो. ठंड में बच्चे यहां मछली की तरह रह रहे हैं.
रेलवे झूठ बोल रहा है- शादाब
एबीपी लाइव से बातचीत में एक अन्य महिला ने कहा कि यहां बेटियां, बहू और महिलाएं रह रहीं हैं. अगर घर गिरा दिया गया तो आखिर हम कहां जाएंगे. बता दें यहां अधिकतर लोग 40-50 साल से रह रहे हैं. यहां कुल आबादी लगभग 70 हजार से अधिक लोग रहते हैं और 5 हजार के करीब घर है. नूर बस्ती के बगल ही गफूर बस्ती और बनभूलपुरा है. स्थानीय लोगों की मांग है कि पूरी बस्ती न उजाड़ी जाए.
इसी मामले में बनभूलपुरा निवासी शदाब ने कहा कि रेलवे झूठ बोल रहा है. शुरू से लेकर अब तक रेलवे झूठ बोल रहा है.
इसी मामले में बनभूलपुरा निवासी शदाब ने कहा कि रेलवे झूठ बोल रहा है. शुरू से लेकर अब तक रेलवे झूठ बोल रहा है. 2007 में 10 एकड़ जमीन खाली कराई थी. बाद में 19 एकड़ जमीन भी खाली कराने के लिए याचिका दाखिल किया. 2014 में रविशंकर जोशी नाम के एक शख्स ने गोला पुल गिरने के मामले में जांच की याचिका लगाई थी. इसमें पता चला कि खनन की वजह से पुल गिरा. जांच के दौरान सामने आया कि अमुक इसी इलाके में रहता है.