UP Politics: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के महासचिव पद से हाल में इस्‍तीफा देने वाले पूर्व सांसद सलीम इकबाल शेरवानी का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने मंगलवार को कहा कि सपा से नाराजगी के बीच दूसरी पार्टियों के नेताओं ने उनसे सम्‍पर्क किया था मगर फिलहाल वह किसी अन्‍य दल में नहीं जा रहे हैं. 

पूर्व केन्‍द्रीय मंत्री शेरवानी बदायूं सीट से पांच बार सांसद रह चुके हैं. उन्होंने सपा द्वारा राज्‍यसभा चुनाव के लिये एक भी मुस्लिम उम्‍मीदवार नहीं उतारे जाने के विरोध में रविवार को पार्टी महासचिव पद से इस्‍तीफा दे दिया था. जिसके बाद उनके भी पार्टी छोड़ने के कयास लगाए जा रहे थे.

कांग्रेस में जाने के सवाल पर कही ये बात

शेरवानी ने 'पीटीआई-भाषा' से बातचीत में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की अगुवाई में निकाली जा रही 'भारत जोड़ो न्‍याय यात्रा' के बारे में पूछे जाने पर कहा कि सोशल मीडिया पर जिस तरह से वीडियो और तस्‍वीरें आ रही हैं, उससे जाहिर होता है कि कांग्रेस के नेता जनता का ध्‍यान अपनी तरफ खींच रहे हैं. उन्‍होंने यह भी कहा कि इस यात्रा का आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सम्‍भावनाओं पर भी सकारात्‍मक असर पड़ेगा.

पूर्व में लम्‍बे अर्से तक कांग्रेस में रहे शेरवानी से पूछा गया कि क्‍या वह अब दोबारा कांग्रेस में जाने की तैयारी कर रहे हैं, तो उन्‍होंने कहा, ''अभी मैं किसी दूसरी पार्टी में नहीं जा रहा हूं. हालांकि कुछ राजनीतिक दलों का नेतृत्‍व मेरे साथ सम्‍पर्क में है.'' पूर्व सांसद ने साफ मना किया कि वह भाजपा के सम्‍पर्क में नहीं हैं.

अखिलेश यादव को लेकर कही ये बात

शेरवानी ने कहा कि उन्‍होंने अभी तक सपा की प्राथमिक सदस्‍यता से इस्‍तीफा नहीं दिया है. वह अगले दो तीन हफ्तों में अपने समर्थकों से राय-मशविरा करके भविष्‍य की रणनीति तय करेंगे. उन्‍होंने कहा कि सपा ने राज्‍यसभा चुनाव के लिये उम्‍मीदवारों के चयन में 'पी' और 'ए' को प्रतिनिधित्‍व नहीं दिया है. उनका इशारा सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव के पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्‍पसंख्‍यक) के नारे की तरफ था। यादव अक्‍सर कहते हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में पीडीए ही भाजपा नीत एनडीए को पराजित करेगा.

सपा नेता ने कहा कि कुछ लोगों का कहना है कि वह इस बात से नाराज हैं कि अखिलेश यादव ने उन्हें राज्यसभा का टिकट नहीं दिया. उन्‍होंने कहा, ''मैंने उन लोगों से कहा कि पिछली बार भी उन्होंने राज्यसभा चुनाव के लिए मुझे नहीं बल्कि जावेद अली खान को टिकट दिया था, लेकिन मैंने एक शब्द भी नहीं कहा था. इस बार भी अगर उन्होंने एक भी मुस्लिम को टिकट दिया होता तो मैं कुछ नहीं कहता, लेकिन मेरे विचार से उन लोगों को पूरी तरह से नजरअंदाज करना, जिन्होंने आपको 80 फीसदी वोट दिया है, बहुत-बहुत गलत है और समुदाय का अपमान है.”

इंडिया गठबंधन को लेकर भी साधा निशाना

शेरवानी ने विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्‍लूसिव अलायंस’ का जिक्र करते हुए कहा, ''विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन बिखर गया है. कोई भी गंभीर नहीं है. वे एक साथ मिलकर सत्तारूढ़ दल से लड़ने के बजाय आपस में लड़ने में व्यस्त हैं. नीतीश कुमार चले गए हैं, जयंत चौधरी चले गए हैं, तो आज इंडिया गठबंधन है कहां. अगर आप व्यापक हित में सीटें छोड़ने को तैयार नहीं हैं, तो आप किसलिए एकजुट हुए हैं.'

शेरवानी वर्ष 1984 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा के लिए चुने गए थे. साल 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा गिराये जाने के बाद वह कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल हो गए और 1996 से 2009 तक इस पार्टी से सांसद रहे. वर्ष 2009 में मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव को समायोजित करने के लिए सपा ने टिकट देने से इनकार कर दिया तो शेरवानी फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए थे. हालांकि अक्टूबर 2020 में उनकी सपा में वापसी हो गई थी.

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