उत्तराखंड में करीब 24 लाख घरों में स्मार्ट मीटर लगाये जाने हैं. इसमें केंद्र द्वारा 15 प्रतिशत खर्च यूपीसीएल को दिया जायेगा. बाकी खर्चा यूपीसीएल खुद वहन करेगा. उत्तराखंड में स्मार्ट मीटर लगाने पर यूपीसीएल का करीब 17 सौ करोड़ रूपये का खर्चा आयेगा.
यूपीसीएल ने नहीं लगाये स्मार्ट मीटर तो अन्य योजनाओं का नहीं मिलेगा लाभ
यहां एक बात और गौर करने वाली और बड़ी महत्वपूर्ण है, अगर यूपीसीएल ने स्मार्ट मीटर लगाने का काम नहीं किया तो केंद्र द्वारा बिजली से संबंधित अन्य योजनाओं का लाभ यूपीसीएल को नहीं मिल सकेगा. यानी कि, स्मार्ट मीटर लगाने यूपीसीएल के लिए अनिवार्य हैं. जब तक यूपीसीएल यह लिखकर केंद्र को नहीं देगा कि, स्मार्ट मीटर लगाने का काम शुरू कर दिया है. तब तक किसी भी अन्य योजना का लाभ यूपीसीएल को नहीं मिल पायेगा.
यूपीसीएल का रहेगा नियंत्रण, मैन पावर की समस्या होगी खत्म
स्मार्ट मीटर लगने का बाद इनपर ऑनलाइन पूरा नियंत्रण यूपीसीएल के पास होगा. सितम्बर 2021 तक इसकी डीपीआर तैयार हो जायेगी. यूपीसीएल के अधिकारियों का मानना है की स्मार्ट मीटर लगने से बिजली घाटे से भी यूपीसीएल उभर पायेगा. इसके अलावा उपभोक्ता की बिजली ख़पत की जानकारी उनके पास रहेगी, साथ ही बिजली मीटर रीडिंग लेने के लिए मैन पावर जैसी समस्याएं ख़त्म हो जायेंगी. मैन्यूअल काम कम हो जायेंगे.
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