Prayagraj News: राज्यसभा उम्मीदवार नहीं बनाए जाने से नाराज होकर समाजवादी पार्टी में महासचिव का पद छोड़ने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम इकबाल शेरवानी के सुर अब अखिलेश यादव को लेकर नरम पड़ने लगे हैं. सलीम शेरवानी के सुर बदलने की बड़ी वजह बदायूं सीट से धर्मेंद्र यादव का टिकट काटकर अब शिवपाल यादव को उम्मीदवार बनाया जाना है. सलीम शेरवानी का कहना है कि अगर अखिलेश यादव बातचीत के लिए बुलाते हैं तो वह न सिर्फ उनसे मुलाकात करेंगे, बल्कि सपा में बने रहने पर भी जरूर विचार करेंगे. 


सलीम शेरवानी ने कहा कि शिवपाल यादव से पुराने हमारे पुराने रिश्ते है. अगर वह बदायूं सीट पर अपने चुनाव को लेकर उनसे मदद मांगेंगे तो पुराने संबंधों के नाते वह इंकार नहीं कर सकेंगे. सलीम शेरवानी के मुताबिक समाजवादी पार्टी छोड़ने के बाद भी अगर वह किसी दूसरे दल में शामिल नहीं हुए तो भी बदायूं जाकर शिवपाल यादव की मदद कर सकते हैं. उन्होंने कहा है कि मैं किसी भी सीट से लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ना चाहता था, लेकिन राज्यसभा नहीं भेजे जाने से मुझे निराशा हुई थी. 


'कांग्रेस पार्टी मेरा पुराना घर'
सलीम शेरवानी का कहना है कि उनके पास कांग्रेस पार्टी की तरफ से भी ऑफर आया है. अगर कांग्रेस पार्टी से राहुल गांधी या प्रियंका गांधी बुलाएंगे तो उनकी पार्टी में जरूर शामिल होऊंगा. उनके मुताबिक कांग्रेस पार्टी मेरा पुराना घर है. पिछले 40 सालों में ज्यादातर वक्त कांग्रेस पार्टी में ही रहा हूं.उन्होंने दावा किया कि समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं ने बातचीत कर मनाने की कोशिश भी की है. समाजवादी पार्टी में बने रहने के रास्ते अभी पूरी तरह बंद नहीं हुए हैं.


'बीजेपी की नीतियों से संतुष्ट नही'
सलीम शेरवानी का कहना है कि बीजेपी से अभी कोई बातचीत नहीं हुई है. बीजेपी की कई नीतियां मुसलमानो को पसंद नहीं आती. बीजेपी की कई नीतियों से खुद भी सहमत व संतुष्ट नहीं हूं. बीजेपी अगर शामिल होने का ऑफर देती है तो किस मुंह से मुसलमानो के बीच जाकर उनकी वकालत करूंगा. सलीम शेरवानी ने कहा है कि भविष्य की राजनीति को लेकर अगले 10 दिनों तक समर्थकों से बातचीत कर अंतिम फैसला करेंगे.


'अखिलेश यादव पर साधा निशाना'
सलीम शेरवानी ने अखिलेश यादव को लेकर नरम रुख रखने के बावजूद सलीम शेरवानी ने उन पर निशाना भी साधा है. उन्होंने कहा है कि उनकी सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि वह किसी पर भरोसा नहीं करते और किसी नेता को कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपते. मैं खुद लंबे समय से महासचिव था, लेकिन मुझे कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई. अखिलेश यादव की इसी कमजोरी की वजह से तमाम नेता पार्टी छोड़ रहे हैं.


ये भी पढ़ें: UP Politics: राहुल गांधी की यात्रा में क्यों नहीं शामिल होंगे अखिलेश यादव? बीजेपी नेता ने किया बड़ा दावा