उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के जनपद शामली (Shamli) में खाप और किसान संगठनों (farmer organizations) के पदाधिकारियों की एक पंचायत हुई. पंचायत में भारतीय किसान यूनियन के टिकैत बंधुओं को जमकर खरी-खोटी सुनाई गई. हैरत की बात यह रही कि पंचायत में भारतीय किसान यूनियन (Bhartiya Kisan Union) के पदाधिकारी भी मौजूद रहे, जिनके सामने खाप थाम्बेदार ने टिकैत यूनियन को भला बुरा कहा और कहा कि राकेश टिकैत और नरेश टिकैत (Rakesh Tikait, Naresh Tikait) स्वर्गीय चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के उसूलों से भटक रहे हैं जिसका खामियाजा आज किसानों को भुगतना पड़ रहा है.


सरकार पर लगाया ये आरोप
दरअसल शनिवार को शामली नगर पालिका में खाप चौधरियों के तत्वाधान में किसान यूनियन द्वारा एक बैठक बुलाई गई थी. बैठक में भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारी भी मौजूद थे. इस दौरान बैठक में मौजूद लोगों ने सरकार पर साजिश के चलते भारतीय किसान यूनियन के संगठन को दो फाड़ करने का आरोप लगाया. इस पर गठवाला खाप के थाम्बेदर बाबा श्याम सिंह ने अपनी ही खाप के नए संगठन के संरक्षक बने चौधरी राजेंद्र मलिक पर तीखे हमले किए. उन्होंने गठवाला खाप के चौधरी को गद्दार बताते हुए कहा कि वह सरकार के इशारों पर नाच रहे हैं. सरकार ने किसानों को कमजोर करने के लिए भारतीय किसान यूनियन की दो फाड़ की है.


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टिकैत बंधुओं पर लगाए आरोप
बाबा श्याम सिंह ने कहा कि भारतीय किसान यूनियन के टिकैत बंधुओं की कमी की वजह से सरकार का सपना पूरा हुआ है. उन्होंने अपने पिता महेंद्र सिंह टिकैत के उसूलों को भुलाकर जो क्रियाकलाप किए हैं उसी ने सरकार को संगठन तोड़ने का मौका दिया है. गठवाला खाप के थाम्बेदार ने यह भी कहा कि अब किसानों के लिए किसान यूनियन ही एक विकल्प है जो किसान की लड़ाई को लड़ने का काम करेगी. इस दौरान भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारी भी बैठक में मौजूद रहे लेकिन उन्होंने टिकैत बंधुओं के खिलाफ की गई बयान बाजी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.


बीकेयू के खिलाफ बयानबाजी
शामली में हुई बैठक के दौरान अलग अलग जातियों के 25 खापों के चौधरियों को आमंत्रित किया गया था. उनकी मौजूदगी में गठवाला खाप के थाम्बेदार द्वारा खाप चौधरी को खरी-खोटी सुनाई गई और उन पर गंभीर आरोप लगाए गए. इस पर अन्य खापों के चौधरी और थाम्बेदारों ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं की. इसके अलावा भारतीय किसान यूनियन टिकैत के खिलाफ हुई बयानबाजी पर भी खाप चौधरी खामोश रहे. इससे प्रतीत हो रहा है कि भारतीय किसान यूनियन को लेकर खाप चौधरियों और किसानों का मोह भंग हो रहा है जिसके चलते अब किसान नए विकल्पों की तलाश में जुट गए हैं. इसका सीधा फायदा भारतीय किसान यूनियन के नए संगठन को भी मिलता नजर आ रहा है.


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