उत्तर प्रदेश में निषाद पार्टी और भारतीय जनता पार्टी में खींचतान के बीच समाजवादी पार्टी की नजर निषाद समाज के वोटरों पर टिक गई है. शनिवार को नाविक मजदूर कल्याण समिति के सदस्यों ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से की मुलाकात की और अपने मुद्दे रखे, वहीं सपा मुखिया ने भी अपने घोषणा पत्र में नाविक समुदाय को खास जगह देने का ऐलान किया है. 

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अखिलेश यादव की इस मुहिम को आगामी 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारी के तहत देखा जा रहा है. सपा अध्यक्ष अभी से सियासी बिसात बिछाने में लग गए हैं. पार्टी की नजर उन वर्गों पर है जो पिछले कुछ चुनावों में बीजेपी और एनडीए का साथ देते आए हैं और एनडीए के सहयोगी संजय निषाद का बड़ा वोट बैंक माने जाते हैं. 

निषाद समाज पर अखिलेश यादव की नजर

सपा मुखिया ने अब निषाद समाज को सपा के साथ लाने का ताना-बाना बुनना शुरू कर दिया है. खबरों की माने उन्होंने एक कदम आगे जाते हुए निषादों को साधने का दांव भी चल दिया है. नाविक संगठन से मुलाकात के दौरान उन्होंने वादा किया कि वो अपने घोषणा पत्र में नाविकों को नाव देने की घोषणा शामिल करेंगे. 

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आगामी विधानसभा चुनाव में अगर समाजवादी पार्टी चुनाव जीतती है तो सपा की सरकार लखनऊ में गोमती रिवर फ्रंट पर निषादराज गुहा की प्रतिमा स्थापित करेंगी. जिसमें नाव की पतवार सोने से बनाई जाएगी. 

नाविक मजदूर संगठन ने की मुलाकात

वही दूसरी ओर नाविक मजदूर कल्याण समिति के सदस्यों ने अखिलेश यादव से मुलाकात के दौरान ज्ञापन देकर नदियों से मछलियां पकड़ने के लिए नदियों की नीलामी को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने का प्रयास करने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि इसके जरिए हमारे पांरपिरक व्यवसाय को दंबंगों को सौंपने की तैयारी की जा रही हैं, इस पर रोक लगनी चाहिए. 

सपा मुखिया ने कहा कि निषाद समाज भी पीडीए का हिस्सा है, हमारी पार्टी नाविकों के अधिकारो और सम्मान की लड़ाई लड़ेगी. जब सपा की सरकार आएगी तो जातीय जनगणना होगी और सभी समाजों को उनका हक और सम्मान मिल सकेगा. सपा ने दावा किया कि 2027 में अखिलेश यादव के नेतृत्व में सरकार बनेगी. जनता अपने लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल कर इस सरकार को उखाड़ फेंकेगी.  

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