जगद्गुरु रामभद्राचार्य द्वारा पश्चिमी यूपी को मिनी 'पाकिस्तान' बताए जाने पर विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है, सियासतदानों ने इस बयान पर कड़ा विरोध जताया है. उत्तर प्रदेश की चंदौली संसदीय सीट से समाजवादी पार्टी सांसद वीरेंद्र सिंह ने रामभद्राचार्य के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है.

Continues below advertisement

एबीपी न्यूज से खास बातचीत सांसद वीरेंद्र सिंह ने कहा, "भारत में मिनी पाकिस्तान, पाकिस्तान की बात करने वाले लोग कभी भारत के प्रति संवेदनशील नहीं हो सकते. यह वही संत महात्मा हैं जो कभी नारियों का अपमान करते हैं. कभी जाती विभेद की बात करते हैं. जो महात्मा, विभेद की बात करेगा, हम उसे महात्मा नहीं मानते हैं." सपा नेता ने कहा, "धर्माचार्य जो भी भाषा बोलते हैं, सरकार के इशारे पर बोलते हैं. अब सरकार को समझना चाहिए कि कैसे इन लोगों के प्रति क्या कार्रवाई करनी चाहिए."

असदुद्दीन ओवैसी का किया समर्थन

एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी द्वारा एनसीईआरटी सिलेबस पर सवाल उठाने पर सपा सांसद ने कहा, "उन्होने (असदुद्दीन ओवैसी) जिन घटनाओं का जिक्र किया है, वह इतिहास में लिखी है. आजादी के पूर्व करीब तीन बार हिंदू महासभा ने मुस्लिम लीग के साथ सरकार बनाई. टू नेशन थ्योरी किसी ने दिया तो सावरकर ने दिया. तो जब टू नेशन थ्योरी सावरकर ने दिया तो देश के विभाजन का जिम्मेदार उनके अलावा हो कौन सकता है? असदुद्दीन ओवैसी की बात में बहुत सच्चाई है."

Continues below advertisement

सपा सांसद ने पीएम मोदी से पूछा सवाल

सपा सांसद ने एबीपी न्यूज़ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा सवाल, कहा - क्या खून और पानी एक साथ बहेगा? आतंकवाद और बातचीत एक साथ चलेगी? बीसीसीआई के आगे भारत का स्वाभिमान झुक गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी बातों पर समीक्षा करनी चाहिये, देश बहुत आहत है.

बीजेपी को खेलना आता है शब्दों का खेल- वीरेंद्र सिह

वीरेंद्र सिह ने कहा कि शब्दों का खेल खेलना भारतीय जनता पार्टी को आता है, लेकिन हम भावुक लोग हैं. हम समझते हैं कि जिस देश ने हमारे ऊपर आतंकी हमले किए, हमें उसके साथ सभी संबंधों पर पुनः विचार करना चाहिए. भारतीय जनता पार्टी शब्दों का जाल फेंककर अपने चेहरे को साफ करना चाहती है जो पूरा देश समझ रहा है.

यूपी में अभिनेत्री दिशा पाटनी के घर हमले को लेकर सपा सांसद ने कहा है कि  यह घटना उत्तर प्रदेश के कानून व्यवस्था का एक नमूना है. इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को विचार करना चाहिए कि उनका कानून व्यवस्था के ऊपर कितना कंट्रोल है.