UP Madrasa News: उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से मदरसों के छात्र-छात्राओं के पाठ्यक्रम में डिजिटल लिट्रेसी, कोडिंग एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को शामिल करने का फैसला लिया गया है. इसपर अब समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने साथ ही मदरसों के शिक्षकों के वेतन का मुद्दा भी उठाया है. 


सांसद एसटी हसन ने गुरुवार (5 अक्टूबर) को न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा कि 9 साल बाद मंत्री को मदरसों की याद आई. मदरसों में शिक्षकों को पिछले 4 साल से वेतन नहीं दिया गया है. केंद्र ने अपना योगदान नहीं दिया है. वेतन सिर्फ 8,000 से 12,000 रुपये के बीच है. वे लाखों बच्चों को पढ़ा रहे हैं. हमें आधुनिक शिक्षा से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन उस शिक्षा में इधर-उधर की कोई बात नहीं होनी चाहिए. विज्ञान, गणित, वनस्पति विज्ञान आदि पढ़ाएं लेकिन, यहां-वहां से अगर-मगर नहीं होना चाहिए. 


यूपी सरकार ने की थी ये घोषणा


बता दें कि, उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने बुधवार को कहा था कि हमने मदरसों को धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उनके पाठ्यक्रम में कुछ बदलाव किए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार कहा था कि वह देखना चाहते हैं मुसलमानों के बच्चों के एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में लैपटॉप हो. 


आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर किया काम


उन्होंने कहा था कि योगी सरकार इसे लागू करने की कोशिश कर रही है, इसलिए हमने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम किया है. आज पहली बार मदरसा शिक्षा को बुनियादी शिक्षा के साथ जोड़ा जा रहा है. हम मदरसे के छात्रों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का ज्ञान देंगे. उन्हें मुख्यधारा से जोड़कर इंजीनियर, वैज्ञानिक, आईएएस और अन्य बनाने का काम करेंगे.  


अल्पसंख्यक कल्याण, मुस्लिम वक्फ एवं हज मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया कि बच्चों का आधार प्रमाणीकरण कराया गया है. वर्तमान में प्रदेश के 16,513 मदरसों में 13,92,325 छात्र/छात्राएं अध्ययनरत हैं. मदरसों में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा पुस्तकें उपलब्ध करायी जा रही हैं. अभी तक कुल 1275 मदरसों में कम्प्यूटर दिये जा चुके हैं. 7442 मदरसों में बुक बैंक, विज्ञान किट व गणित किट दिये जा चुके हैं.


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