उत्तर प्रदेश में 'आई लव मोहम्मद' पर उपजे विवाद को लेकर समाजवादी पार्टी की नेता सुमैया राणा ने इसके लिए प्रदेश पुलिस की कार्रवाई को जिम्मेदार ठहराया. समाजवादी पार्टी की नेता सुमैया राणा ने कहा कि कानपुर में पुलिस की कार्रवाई ने लोगों में गुस्सा और आक्रोश पैदा किया. राणा ने बताया कि पोस्टर हटाकर दूसरी जगह लगाए गए, लेकिन इसके बाद मुकदमे दर्ज किए गए और लोगों को जेल भेजा गया, जिससे जनता में नाराजगी बढ़ी.
आईएएनएस से बातचीत में उन्होंने बरेली विवाद पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार द्वारा ताकत का इजहार करना उसकी कमजोरी की निशानी होता है. सरकारें लाठी चार्ज से नहीं, सौहार्द-सद्भाव से चलती हैं. सपा नेता ने कहा कि जुम्मे की नमाज के बाद प्रदर्शन के इरादे से आई भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने ऐसा माहौल बनाया जिससे भगदड़ मच गई. पुलिस के लाठीचार्ज में दर्जनों लोग घायल हुए, कई के सिर में चोटें आईं और कुछ गंभीर रूप से घायल हुए.
उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं न केवल स्थानीय स्तर पर माहौल बिगाड़ती हैं, बल्कि जहां भी खबर फैलती है, अशांति पैदा करती हैं, जिससे लोगों में गुस्सा बढ़ता है. 'आई लव मोहम्मद' अभियान पर पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि हम मोहम्मद के नाम पर गोली भी खा सकते हैं, लेकिन हिंसा करना ठीक नहीं. ऐसी कार्रवाइयों पर ऐतराज जायज है.
सुमैया राणा ने CM योगी आदित्यनाथ के बयान पर कसा तंज
उन्होंने नेपाल की घटना को हिंसा के तौर पर देखे जाने से इनकार किया और कहा कि किसी के नाम पर अराजकता फैलाना उचित नहीं है. सनातनी नारे पर उन्होंने कहा कि मैं इसका स्वागत करती हूं. सनातनियों को 'आई लव सनातन' का नारा लगाने का पूरा अधिकार है. इसमें कोई बुराई नहीं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि उनकी भाषा उनकी पहचान है. वे यूपी की जनता के मुख्यमंत्री कम, बल्कि एक समुदाय के मुख्यमंत्री ज्यादा नजर आते हैं. उन्होंने दावा किया कि समाजवादी पार्टी हमेशा पिछड़े और अति पिछड़े वर्गों की आवाज रही है और आगे भी रहेगी.