उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने बीजेपी के साथ गठबंधन को लेकर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि अगर एनडीए को लगता है कि निषाद पार्टी से उन्हें कोई फायदा नहीं तो वो गठबंधन तोड़ सकते हैं. जिसके बाद अब सियासत तेज हो गई है. समाजवादी पार्टी ने कहा कि जल्द ही पिछड़ों के नाम पर राजनीति करने वाले दल एनडीए से दूर हो जाएंगे.
समाजवादी पार्टी के प्रवक्त फखरुल हसन चांद ने संजय निषाद के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए एक्स पर लिखा- 'उत्तर प्रदेश के विधानसभा के चुनाव मे लगभग एक साल और मुश्किल से 4 या 5 महीने बाकी है. दिसंबर 2026 मे आचार संहिता लग जायेंगी. उससे पहले भाजपा के सहयोगी दल और राजभर निषाद के बोल बागी होते जा रहे है. जो-जो चुनाव करीब आएगा वो सभी दल जो पिछड़ी जातियों के नाम पर राजनीति करते हैं पिछड़ों के आरक्षण का हक खाने वालों से दूर हो जाएंगे. ये पीड़ीए की ताकत है.'
संजय निषाद ने एनडीए गठबंधन पर उठाए सवाल
बता दें यूपी में बीजेपी के सहयोगी और कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने गोरखपुर में पत्रकारों से बात करते हुए बीजेपी से अपने सहयोगियों पर विश्वास और सम्मान बनाए रखने को कहा. जिसमें निषाद पार्टी, रालोद और सुभासपा जैसे सभी दल शामिल हैं.
मंत्री ने कहा कि वो भाजपा से पूछना चाहते हैं कि ये उनके सहयोगी दल सुभासपा, अपना दल, आरएलडी पर भाजपा को भरोसा होना चाहिए. उन्हें भरोसा नहीं है, तो कड़े फैसले ले लें. वे लोग समाज को सही दिशा में लेकर जा रहे हैं. इसका फायदा भाजपा को मिल रहा है.
उन्होंने कहा कि 2018 में सपा-बसपा एक हो गई थी. फिर भी उन लोगों को कैसे एनडीए गठबंधन को ऐतिहासिक जीत दिया. जो कुछ चल रहा है, भाजपा को लगता है कि हम लोगों से फायदा नहीं मिल रहा है, तो गठबंधन तोड़ दें, बाहरी नेताओं से क्यों हम लोगों को उल्टा-सीधा बुलवाते हैं.
2024 के चुनाव में हमें कुछ नहीं मिला लेकिन, अब देखते हैं कि 2027 में क्या होता है. हमें भीख मांगने की ज़रूरत नहीं है. बीजेपी को सपा-बसपा से आए बाहरी नेताओं से सावधान रहना चाहिए वो एनडीए में शामिल होकर नुक़सान पहुंचा सकते हैं.
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