Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बीच सियासी पारा हाई हो चुका है. हर राजनीतिक दल अब मैदान में उतर आए हैं. बीजेपी और बीएसपी के हर बड़े नेता लगातार पार्टी और उम्मीदवार के लिए प्रचार में लगे हुए हैं. लेकिन इन सबके बीच समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव अकेले पड़े नजर आते हैं. 

दरअसल, सपा प्रमुख ने 12 अप्रैल को पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार अभियान शुरू किया था. उसके बाद से वह लगातार चुनाव प्रचार कर रहे हैं. हालांकि उनका प्रचार अभियान थोड़ा देर से शुरू हुआ है. राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो अखिलेश यादव ने ईद की वजह से थोड़ा देर से प्रचार शुरू किया है, क्योंकि मुस्लिम वोटर्स सपा के कोर वोटर्स माने जाते रहे हैं. 

चाचा रामगोपाल यादव भी दूरअब अखिलेश यादव को प्रचार अभियान शुरू किए तीन दिन हो चुके हैं लेकिन अभी तक वह मैदान में अकेले नजर आ रहे हैं. परिवार को कोई सदस्य अभी तक अखिलेश यादव का साथ देते हुए नजर नहीं आ रहा है. अखिलेश यादव के बाद पार्टी में नंबर टू माने जाने वाले चाचा रामगोपाल यादव अभी तक चुनाव प्रचार से दूर ही दिख रहे हैं. 

राम गोपाल यादव कई मौकों पर नजर भी आए तो वह अपने बेटे अक्षय यादव की सीट फिरोजाबाद में ही दिखे. हालांकि बीच-बीच में वह दिल्ली में भी नजर आए हैं. लेकिन चुनाव प्रचार के लिए वह लगभग फिरोजाबाद में ही दिखे हैं. जबकि अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव अपने संसदीय क्षेत्र मैनपुरी तक ही दिख रही हैं. 

विरासत बचाने में जुटी डिंपल यादवडिंपल यादव को पार्टी ने मैनपुरी लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. वह इस सीट से वर्तमान में सांसद भी हैं. लेकिन अब तक उनके प्रचार अभियान पर नजर डालें तो वह ज्यादातर वक्त मैनपुरी में ही प्रचार अभियान में नजर आई हैं. दूसरी ओर लगभग ऐसा ही हाल चाचा शिवपाल यादव का है. शिवपाल यादव बीते कई दिनों से बदायूं में डेरा डाले हुए हैं.

बदायूं में सपा ने चाचा शिवपाल यादव को उम्मीदवार बनाया था. लेकिन रविवार को पार्टी ने चाचा शिवपाल की जगह उनके बेटे आदित्य यादव को उम्मीदवार बना दिया है. हालांकि चाचा शिवपाल यादव की तरह ही आदित्य यादव भी बीते कई दिनों तक बदायूं में ही नजर आए हैं. परिवार के अन्य बड़े नेताओं के जैसा ही हाल धर्मेंद्र यादव का भी है.

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आजमगढ़ में डटे हुए हैं धर्मेंद्र यादवधर्मेंद्र यादव को पहले बदायूं से उम्मीदवार बनाया गया था. लेकिन बाद में उनकी जगह शिवपाल यादव को बदायूं से उम्मीदवार बना दिया गया और फिर धर्मेंद्र यादव को आजमगढ़ से उम्मीदवार बनाया गया. धर्मेंद्र यादव भी बीते कई दिनों से आजमगढ़ में डेरा डाले हुए हैं. अभी तक उन्हें आजमगढ़ से बाहर चुनाव प्रचार करते नहीं देखा गया है. 

यानी देखा जाए तो बीते तीन दिनों से पश्चिम यूपी में मोर्चा संभाले अखिलेश यादव अभी तक अकेले नजर आते हैं. रामगोपाल यादव, शिवपाल यादव, डिंपल यादव, धर्मेंद्र यादव, अक्षय यादव या आदित्य यादव का अभी तक उन्हें चुनाव प्रचार में साथ मिलता नहीं दिख रहा है. ये सभी नेता अपने-अपने सीट पर प्रचार करते ही नजर आ रहे हैं.