ABP Shikhar Sammelan: राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी को आज भी साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बागपत सीट हारने की टीस है. उन्होंने यह खुलासा एबीपी न्यूज़ शिखर सम्मेलन में किया. पत्रकार रोहित सिंह सावल के सवालों का जवाब देते हुए जयंत ने कहा कि मुझे आज भी इस बात की टीस है कि मैं बागपत हार गया. हार का मलाल रहता है. ऐसा लगता है कि ये कर लिया होता तो जीत जाते.


उन्होंने ये भी कहा कि हर चुनाव नया होता है. हम सब यह गलती करते है कि पिछले चुनाव के नतीजे निकालकर हम होने वाले चुनाव का उससे तुलना करने लगते है. कि पार्टी की कितनी फालोविंग है. क्या वर्चस्व है. वोटर हर चुनाव में यह देखता है कि इस चुनाव में निर्णय किस आधार पर लेना है. मेरे निर्णय के का देश पर क्या प्रभाव पड़ेगा. मेरे निर्णय से किस पार्टी की सरकार बनेगी. इसलिए 2024 के चुनाव मे जो मतदताओं के सामने अहम मुद्दे है और जो समाधान पिछले दस साल में केंद्र सरकार ने दिए है. वहीं समाधान का जिस तरह जवाब पेश किया जा रहा है. उनको देखते हुए मुझे लगा कि विपक्ष के पास उस मैट्रिक्स में उन सवालों का जवाब देने के लिए भी कोई तैयारी नही है. हमारे उनसे रिश्ते अच्छे है मैं उनका सम्मान करता हूं अखिलेश और हमारे बीच रिश्ते सहीं रहेंगे.


'कामयाब गणित वो जिसे जनता पहचान सके'
जंयत चौधरी से जब पूछा गया कि अखिलेश यादव ने हमसे बातचीत में कहा था कि मुझे पहली बार पता चला कि सात से बड़ा दो होता है.मतलब सपा ने आरएलडी को सात सीट दे रही थी और आरएलडी ने एनडीए के साथ 2 सीट में गठबंधन कर लिया. तो इसके जवाब में जंयत चौधरी ने कहा कि सात सीट कहां मिल रही थी. 6 सीट मिल रही थी. इसमें एक सीट पीछे की गेट से कांग्रेस को दे दी गई थी. 6 सीट बची थी. जिसमें केवल तीन ही निश्चित ही थी. उन्होंने कहा था तीन सीट अनिश्चित रखे. बाकि तीन निश्चित नही थे. गणित क्या होता है. वो तो जनता बताएगी. कामयाब गणित वो होता है जिसे जनता पहचानती है और उसका समर्थन करती है. 


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