लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश की रामपुर लोकसभा सीट पर बीते 24 घंटे में सियासी हालात ऐसे बदले जिसका किसी का आंदाजा नहीं था. एक ओर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पूरे प्रदेश में घूम-घूम कर कह रहे हैं कि उनका दल राज्य में भारतीय जनता पार्टी को सभी 80 सीटों पर हराएगी वहीं उनके करीबी और सपा नेता आजम खान का गढ़ माने जाने वाले रामपुर सीट पर सपा की जिला इकाई ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया.


इसके बाद आजम खान की एक भावुक अपील भरी चिट्ठी आ गई. सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को संबोधित चिट्ठी का मजमून ये था कि यूपी के पूर्व सीएम रामपुर लोकसभा सीट को भी उसी नजरिए से देखें जिस तरह से वह अपने सियासी गढ़ यानी कन्नौज, मैनपुरी, इटावा को देखते हैं.


इसी महीने की 22 मार्च को जब अखिलेश यादव, सीतापुर गए और आजम खान से मुलाकात की तब यह दावा किया गया कि सपा नेता ने पार्टी सुप्रीमो से रामपुर सीट से इलेक्शन लड़ने का आग्रह किया है. यह दावा तब सच्चाई में तब्दील हो गया जब सपा की रामपुर इकाई ने 'बागी' सुर अख्तियार करते हुए चुनाव का ही बहिष्कार कर दिया. 


Lok Sabha Election 2024: पीएम मोदी के 'राम'से बनेगा चुनावी काम? BJP का प्रयोग, 80 सीट पर जीत का योग!


अखिलेश के अलावा कोई कुबूल नहीं?
सपा की रामपुर इकाई के अध्यक्ष अजय सागर ने मंगलवार शाम पत्रकारों से कहा कि हमने राष्ट्रीय अध्यक्ष से आग्रह किया था कि वह इस सीट से चुनाव लड़ें लेकिन अभी तक उन्होंने कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है. फिर जब आजम की भावुक अपील भरी चिट्ठी आई तब यह स्पष्ट हो गया कि सपा की जिला इकाई अखिलेश के अलावा किसी और को इस सीट से चुनाव नहीं लड़ाना चाहती. एबीपी लाइव से बातचीत में भी रामपुर के जिलाध्यक्ष सागर ने कहा था कि डिस्ट्रिक्ट यूनिट चाहती है अखिलेश ही उम्मीदवार हों. सपा के बागी सुर से यह संदेश जा रहा है कि अखिलेश के अलावा जिला इकाई को और कोई कुबूल नहीं है.


तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि अखिलेश के चचेरे भाई तेज प्रताप यादव इस सीट से उम्मीदवार हो सकते हैं. वहीं कुछ ने सूत्रों के हवाले से कहा कि रामपुर में सपा मौलाना मुहिबुल्लाह को चुनावी मैदान में उतार सकती है. मौलाना मुहिबुल्लाह, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित पार्लियामेंट स्ट्रीट की जामा मस्जिद के इमाम हैं. 


आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो साल 2009 के आम चुनाव से लेकर अब तक हुए चुनावों में ऐसा कभी नहीं हुआ कि सपा को मिला वोट  30% से कम हुआ हो. साल 2009 में सपा को 38.1%, साल 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में 30.5 %, साल 2014 के लोकसभा चुनाव में 35%, साल 2017 के विधानसभा चुनाव में 35 %, साल 2019 के आम चुनाव में 53.1 फीसदी और साल 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में सपा को 50.3 % वोट मिले थे.


अब जबकि जिला इकाई ही 'बागी' तेवर के साथ अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने खड़ी है ऐसे में अगर सपा, अखिलेश के अलावा किसी और को उम्मीदवार बना भी देती है तब भी उसके लिए राह आसान नहीं होगी. बीते 24 घंटे में सपा के लिए रामपुर में जिस तरह हालात बदले हैं निश्चित तौर पर ही चुनाव के लिहाज से यह मुफीद नहीं है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आजम खान के जज्बात की अखिलेश यादव कितनी कद्र करते हैं. स