कारगिल युद्ध में घाव लेकर अपने गांव लौटे रामनाथ सिकरवार फतेहपुर सीकरी में गरीबों की एकमात्र आवाज हैं. 20 वर्षों से एक मंदिर में रहते हैं. इनकी एकमात्र गाड़ी में आपको दरी और बाल्टी हमेशा मिलेगी. जिस गांव जाते हैं वहां बीच में बाल्टी रख देते हैं जनता जो मदद मिलती है उसी से चुनाव लड़ रहे हैं. पिछले चुनाव में मात्र एक फीसदी  मतों से चुनाव हार गये थे.


पूरे उत्तर प्रदेश का सबसे अद्भुत, जमीनी, ईमानदार प्रत्याशी और एक सच्चे जन नेता के सभी आदर्शों को आत्मसात किए हुए एक पूर्व फौजी जो न्याय-अन्याय के युद्ध में दरअसल अब जनता का फौजी बन चुका है.


 



दरअसल, रामनाथ सिकरवार फतेहपुर सिकरी के इंडिया गठबंधन के लोकसभा उम्मीदवार हैं. उनके लिए कहा जाता है कि वह बहुत सादगीभरे इंसान हैं. सिकरवार साइकिल से अपना चुनाव प्रचार करते हैं. स्थानीय लोग उन्हें फौजी बाबा भी कहकर पुकारते हैं. 


रामनाथ सिकरवार साल 2004 में सेना से रिटायर हो गए थे और इसके बाद से ही वे लोगों की सेवा में जुट गए. सिकरवार किसानों, मजदूरों की आवाज उठाते हैं और उनकी इन्हीं खूबियों को देखते हुए उन्हें ईनाम बतौर इंडिया गठबंधन की तरफ से फतेहपुर सिकरी से प्रत्याशी बनाया गया है.


बता दें कि रामनाथ सिकरवार खैरागढ़ के एक आश्रम में रहते हैं और उन्हें कहीं भी जाना होता है तो वह अपनी साइकिल से ही जाते हैं. यहां तक कि अपना नामांकन दाखिल करने के लिए भी सिकरवार अपनी साइकिल से ही गए थे. उनकी सादगी वहां के लोगों को प्रभावित करती है. 


रामनाथ सिकरवार ने कहा फौज में से आकर मैंने देखा कि यहां हर जगह रिश्वत, भ्रष्टाचार हो रहा है. उन्होंने कहा कि अगर मुझे यहां की जनता ने जिताकर सांसद बना देती है तो मैं जनता से वादा करता हूं कि जहां-जहां भी सिस्टम में गड़बड़ है उसे दुरुस्त करेंगे.