वाराणसी: गोस्वामी तुलसीदास की भूमि वाराणसी में इस बार रामलीला न होने की चर्चा थी लेकिन अब वाराणसी में घर-घर रामलीला होगी. इसके साथ ही घर-घर डिजिटल माध्यम से कठपुतली रामलीला दिखाने के इंतजाम भी किए गए हैं. रामलीला के पात्रों के मुखौटे तैयार हो रहे हैं. इतना ही नहीं इन मुखौटों के साथ पात्रों के नाम और उनके रोल को ऑनलाइन प्ले भी किया जा रहा है. जो लोग अपने घरों में रामलीला करना चाहते हैं वो इन मुखौटों को घर ले जाकर हर घर में रामलीला का मंचन कर सकते हैं. संकट मोचन मंदिर महंत परिवार के सदस्य की पहल पर ये प्रयास किया जा रहा है ताकि कोरोना काल में काशी की सदियों पुरानी परंपरा टूट न सके.

कोरोना ने लगाया ग्रहण वाराणसी में रामलीला के अलग-अलग मंच हैं. काशी में रामलीला रामनगर में होती है तो चेतगंज में नाककटैया और नाटी इमली का भरत मिलाप ये सभी आयोजन काशी के लक्खा मेला में शुमार हैं. इन आयोजनों में लाखों की भीड़ होने का अनुमान होता था, लेकिन कोरोना ने इस पर ग्रहण लगा दिया है. सभी आयोजन लगभग रद हैं ऐसे में जनता निराश थी. लेकिन, कठपुतली के कारीगरों ने इसका हल तलाशा है और एक महीने तक लगातार कठपुतली रामलीला का ऑनलाइन प्रसारण किया जा रहा है. तैयरियां पूरी हैं और इसका ट्रायल भी हो चुका है.

जीवित हुई कठपुतली कला भले ही कोरोना काल ने रामलीला पर ग्रहण लगा दिया हो लेकिन ऑनलाइन रामलीला और कठपुतली रामलीला की शुरुआत ने कठपुतली की खत्म हो ही विधा को एक बार फिर से जीवित कर दिया है.

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