केंद्र सरकार में एनडीए की सहयोगी रिपब्लिकन पार्टी उत्तर प्रदेश में एंट्री करने की तैयारी कर रही हैं. जिससे आगामी चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. पार्टी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने दावा किया कि वो यूपी में डीपीए यानी दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक के साथ मिलकर बदलाव लाएंगे. 

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रामदास आठवले ने दावा किया कि यूपी के 75 जिलों में से 62 जिलों में रिपब्लिकन पार्टी की कार्यकारिणी बन चुकी है. पार्टी अगले साल 5 अप्रैल 2026 को लखनऊ में एक बड़ी रैली करेगी, जिसमें 1 लाख से लोगों के शामिल होने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि अब बसपा की जगह रिपब्लिकन पार्टी ने ली है. दलितों और गरीब को न्याय दिलाने वाली पार्टी रिपब्लिकन पार्टी रहेगी.

यूपी में सपा-बसपा की मुश्किल बढ़ाएंगे आठवले

आठवले ने बसपा प्रमुख मायावती पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके सत्ता में इतने लंबे समय तक रहने के बावजूद दलितों, शोषितों, वंचितों, गरीबों और महिलाओं के लिए शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं में कोई खास सुधार नहीं हुआ. अखिलेश यादव द्वारा दिया गया पीडीए (पिछड़ा वर्ग, दलित, अल्पसंख्यक) का नारा सिर्फ एक चुनावी वादा बनकर रह गया है. 

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पीडीए के जवाब में यूपी डीपीए की लड़ाई!

आरपीआई (आठवले) अब डीपीए (दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक) की अवधारणा को जमीन पर मजबूती से लागू करेगी और असली बदलाव लाएगी. आठवले ने सोमवार को इस संबंध में उत्तर प्रदेश कार्यकारी समिति की समीक्षा बैठक की. इस बैठक में प्रदेश की राजनीतिक स्थिति, दलित, शोषित और वंचित समुदायों की समस्याओं एवं पार्टी के संगठन के विस्तार पर विस्तार से चर्चा हुई. 

आठवले ने कहा कि आरपीआई इन मुद्दों पर सिर्फ नारे नहीं लगाती बल्कि जमीन पर प्रभावी ढंग से काम कर रही है. अखिलेश यादव द्वारा दिया गया पीडीए का नारा केवल चुनावी घोषणा बनकर रह गया. पार्टी अब डीपीए की अवधारणा को लेकर जमीन पर मजबूती से उतरेगी और वास्तविक बदलाव लाएगी.