भारतीय किसान यूनियन के आह्वान पर सोमवार को यमुना एक्सप्रेसवे के जीरो प्वाइंट पर एक बड़ी महापंचायत का आयोजन किया गया. इस महापंचायत में पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत कई जिलों से भारी संख्या में किसान पहुंचे. किसानों के जुटान से पूरा इलाका किसान आंदोलन के रंग में नजर आया. पंचायत में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत भी पहुंचे और किसानों को संबोधित किया.
महापंचायत के दौरान किसानों ने प्राधिकरण और सरकार के खिलाफ जमकर नाराजगी जाहिर की. किसानों का कहना था कि अब वे सिर्फ आश्वासनों से मानने वाले नहीं हैं. वर्षों से उनकी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं और हर बार सिर्फ वादे किए जाते हैं. किसानों ने साफ कहा कि अब वे अपना एक-एक हक लेकर ही रहेंगे, चाहे इसके लिए उन्हें बड़ा आंदोलन क्यों न करना पड़े.
किसानों ने अपनी मांगों का सौंपा ज्ञापन
मौके की गंभीरता को देखते हुए पुलिस, प्रशासन और प्राधिकरण के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और किसानों से वार्ता की. किसानों ने अपनी मांगों से जुड़ा ज्ञापन अधिकारियों को सौंपा. साथ ही चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर जल्द विचार नहीं हुआ तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा.
क्या है किसानों की प्रमुख मांगें
किसानों की प्रमुख मांगों में आबादी से जुड़ी समस्या का स्थायी समाधान, भूमि अधिग्रहण पर 64 प्रतिशत बढ़ा हुआ मुआवजा, अधिग्रहित जमीन के बदले विकसित भूमि का आवंटन, गांवों में शहरों की तर्ज पर सड़क, पानी, नाली और बिजली जैसी सुविधाएं तथा स्थानीय बेरोजगार युवाओं को सरकारी और निजी परियोजनाओं में रोजगार देना शामिल है.
राकेश टिकैत ने महापंचायत को किया संबोधित
महापंचायत को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि किसान का घर सिर्फ चार दीवारें नहीं होता. उसका घेर भी उसके जीवन का अहम हिस्सा है जहां वह पशुपालन करता है और अपनी आजीविका चलाता है. लेकिन सरकार घेर को आबादी में शामिल नहीं कर रही है जिससे किसानों को उनके अधिकार से वंचित किया जा रहा है. टिकैत ने कहा कि यह अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और हर हाल में किसानों को उनका हक दिलाया जाएगा.
अरावली पर्वतमाला को लेकर उठाए सवाल
इस दौरान राकेश टिकैत ने अरावली पर्वतमाला को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि अरावली राजस्थान से आने वाली रेतीली हवाओं को रोकने वाली एक प्राकृतिक दीवार है. सरकार द्वारा लगभग 100 मीटर की कटिंग के आदेश न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंचायेंगे बल्कि इससे किसानों की रोजी-रोटी पर भी संकट खड़ा होगा.
महापंचायत में किसान नेता पवन खटाना, सुनील प्रधान, राजवीर सिंह लवानियां, कुमारी मीरा, अरब सिंह, सतदेव पाठक, सुंदर बालियान, रॉबिन नागर, ललित चौहान, लाला यादव सहित बड़ी संख्या में किसान नेता, ग्रामीण और किसान मौजूद रहे. पंचायत के बाद किसानों ने एकजुट होकर यह संदेश दिया कि अब वे संगठित हैं और अपने अधिकारों के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं.