उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) में गर्ल्स हॉस्टल के संचालक द्वारा लड़कियों के बाथरूम के शावर में खुफिया कैमरा लगाकर उनकी आपत्तिजनक वीडियो रिकार्ड किये जाने के सनसनीखेज मामले के मुख्य आरोपी को जेल जाने से पहले ही जमानत मिल गई है. इस मामले में जिस हॉस्टल संचालक को जेल की सींखचों के पीछे होना चाहिए था, वह अब आजाद होकर घूम रहा है. आरोपी को जेल जाने से पहले ही जमानत मिलने के बाद प्रयागराज पुलिस और उसकी कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है. आरोप यह लग रहा है कि प्रयागराज पुलिस द्वारा जमानती धाराएं ही लगाए जाने और जमानत अर्जी का विरोध नहीं किये जाने की वजह से ही आरोपी को कोर्ट से फौरन जमानत मिल गई.


सामाजिक-राजनीतिक-छात्र संगठनों में नाराजगी
बहरहाल चौतरफा हो रही किरकिरी के बाद बैकफुट पर आई प्रयागराज पुलिस द्वारा इस पूरे मामले में नये सिरे से समीक्षा कर आगे उचित कदम उठाए जाने के दावे किये जा रहे हैं. पुलिस की लापरवाही और सुस्ती के चलते आरोपी को जमानत मिलने के बाद सामाजिक-राजनीतिक और छात्र संगठनों में जबर्दस्त नाराजगी देखने को मिल रही है. सपा नेता डा० ऋचा सिंह ने आरोपी की जमानत निरस्त किये जाने की मांग को लेकर जिला अदालत में अड़तालीस घंटे में अर्जी दाखिल किये जाने और साथ ही पूरे मामले को हाईकोर्ट में ले जाने की बात कही है. सोशल मीडिया पर भी प्रयागराज पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं.


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बाथरूम के शॉवर में खुफिया कैमरा लगाया था
गौरतलब है कि प्रयागराज के कर्नलगंज इलाके में पुलिस लाइंस के ठीक सामने आशीष खरे नाम का एक शख्स अपने घर की पहली मंजिल पर गर्ल्स हॉस्टल चलाता था. बृहस्पतिवार को इस मामले का खुलासा हुआ कि हॉस्टल संचालक आशीष खरे ने लड़कियों के बाथरूम के शॉवर में खुफिया कैमरा लगा रखा था. इस खुफिया कैमरे का आउटपुट वह नीचे रखे कम्प्यूटर पर लेता था. छानबीन में पुलिस को जानकारी मिली है कि आरोपी हॉस्टल संचालक आशीष खरे लड़कियों के निजी पलों को न सिर्फ अपने कम्प्यूटर पर लाइव देखता था, बल्कि उसकी रिकार्डिंग भी करता था. पुलिस और लड़कियों ने आरोपी आशीष के कम्प्यूटर पर कई आपत्तिजनक वीडियो देखे हैं. इसी वजह से आरोपी के कम्प्यूटर और उनकी हार्ड डिस्क को भी जब्त कर लिया गया है.


पुलिस ने आरोपी के बचाव का प्लेटफार्म तैयार किया
इस मामले के खुलासे के बाद प्रयागराज में कोहराम मच गया था. पुलिस ने भी बड़े-बड़े दावे करते हुए आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किये जाने की बात कही थी. हालांकि आरोपी की गिरफ्तारी के कुछ घंटे बाद ही उसे जैसे ही स्पेशल सीजेएम की कोर्ट में पेश किया गया, उसे फौरन जमानत मिल गई और वह जेल जाने से पहले ही फिर से आजाद हो गया. इस मामले में कहा यह जा रहा है कि पुलिस ने खुद ही आरोपी के बचाव का प्लेटफार्म तैयार किया. क्रिमिनल ला एमेंडमेंट लगाकर सभी धाराओं को गैर जमानती करने की कोशिश नहीं की. सिर्फ ऐसी धाराएं ही लगाई गईं जिससे आरोपी को आसानी से जमानत मिल सके. मौके से स्पाई कैमरा -कम्प्यूटर-हार्ड डिस्क और अश्लील वीडियो बरामद होने के बावजूद आईटी एक्ट की धारा तक नहीं लगाई गई. इतना ही नहीं पुलिस की तरफ से आरोपी की जमानत अर्जी का विरोध भी नहीं किया गया.


सपा नेता ने पुलिस पर क्या आरोप लगाया
सपा नेता डा० ऋचा सिंह के मुताबिक सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों को धमकाने या प्रभावित करने का हवाला देकर भी पुलिस जमानत अर्जी का विरोध कर सकती थी, लेकिन उसकी तरफ से चुप्पी साधे रहना साफ तौर पर उसकी मंशा पर सवालिया निशान खड़े करता है. इस मामले में प्रयागराज पुलिस ने आईपीसी की धारा 354 ग-354 घ- 292 और 292- A के तहत ही केस दर्ज किया था. ये सभी जमानती धाराएं हैं. उन्होंने सवाल उठाया है कि आरोपी आशीष अब आजाद रहकर वीडियो क्लिप्स के नाम पर छात्राओं को ब्लैकमेल कर सकता है. उन्हें डरा -धमका सकता है. 


इन बड़े नेताओं को लिखी चिट्ठी
ऋचा सिंह ने आगे कहा कि, इतना ही नहीं किसी दूसरी जगह भी आपत्तिजनक वीडियो रखे होने की सूरत में वह उन्हें सार्वजनिक भी कर सकता है. ऋचा ने राष्ट्रपति -प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के साथ ही यूपी की गवर्नर और सीएम को चिट्ठी भेजकर पुलिस की शिकायत करते हुए इस मामले में दखल देने की गुहार लगाई है. उन्होंने अड़तालीस घंटे के अंदर कागजात इकठ्ठा कर सेशन कोर्ट में जमानत निरस्त किये जाने की अर्जी दाखिल किये जाने और हाईकोर्ट में भी याचिका दाखिल करने की बात कही है.


सवाल उठाए जा रहे
प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के उपाध्यक्ष प्रशांत पांडेय ने भी राष्ट्रीय और राज्य महिला आयोग से इस बारे में शिकायत की है. तमाम दूसरे संगठन भी सोशल मीडिया पर सवाल उठा रहे हैं. मामला सामने आने के बाद प्रयागराज पुलिस बैकफुट पर है. इस मामले में अफसरान बहुत कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं. एसएसपी अजय कुमार ने सिर्फ यह कहा है कि इस पूरे मामले में फिर से समीक्षा की जाएगी और जरूरत के मुताबिक उचित कदम उठाए जाएंगे. उनके मुताबिक अब भी जांच के बाद धाराएं बढ़ाकर या फिर जमानत निरस्त करने की अर्जी देकर आरोपी पर शिकंजा कसा जा सकता है.


क्या सवाल उठ रहा
सवाल यह उठता है कि, छोटे-छोटे मामलों में लोगों को जेल भेजने वाली यूपी पुलिस इतने गंभीर और संवेदनशील मामले में सुस्ती की वजह से फेल हुई या फिर आरोपी को फायदा पहुंचाने के लिए जानबूझकर मामले को कमजोर किया गया. कहा जा सकता है कि लड़कियों के बाथरूम में कैमरा लगाए जाने का मामला जितना चौंकाने वाला था, उससे कम सनसनीखेज इसके मास्टरमाइंड को फौरन जमानत मिल जाना कतई नहीं है.


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