यूपी में राजभर समुदाय के लोगों को जल्द ही अनुसूचित जनजाति (ST) में जगह मिल सकती है. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने इस मामले में दखल देते हुए यूपी सरकार से इस प्रस्ताव की सिफारिश केंद्र सरकार से करने के बारे में उचित फैसला लेने को कहा है.


हाई कोर्ट ने यूपी सरकार को दिया दो महीने का वक़्त


हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को इसके लिए दो महीने का वक़्त दिया है. अगर यूपी सरकार प्रस्ताव भेजता है और केंद्र सरकार उसे मंजूरी दे देता है तो राजभर समाज के लोग ओबीसी से बाहर निकलकर एसटी यानी अनुसूचित जनजाति की कैटेगरी में आ जाएंगे और उन्हें आरक्षण का ज़्यादा फायदा मिल सकता है.


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दरअसल केंद्र सरकार ने पिछले साल ग्यारह अक्टूबर को यूपी के समाज कल्याण विभाग को पत्र भेजकर राजभर समाज के लोगों को अनुसूचित जनजाति में शामिल किये जाने का प्रस्ताव भेजने को कहा था.


कई महीने बीतने के बावजूद जब यूपी सरकार ने इस बारे में पहल नहीं की तो जागो राजभर जागो समिति नाम की संस्था ने पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक अर्जी दाखिल की. अर्जी में यूपी सरकार को प्रस्ताव भेजने के लिए निर्देश दिए जाने की अपील की गई.


जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस दिनेश पाठक की डिवीजन बेंच ने इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए यूपी के समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव को केंद्र सरकार के पत्र पर जल्द ही फैसला लेने और ज़रूरत समझने पर प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने को कहा है. अदालत ने इसके साथ ही याचिका को निस्तारित कर दिया है.  


प्रदेश में बड़ी संख्या में रहते हैं राजभर समुदाय के लोग


याचिका में कहा गया कि प्रदेश में बड़ी संख्या में राजभर समुदाय के लोग रहते हैं. इनकी सामाजिक व आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. ओबीसी यानी अन्य पिछड़ा वर्ग कैटेगरी में रखे जाने के बावजूद इन्हें आरक्षण का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है. अगर केंद्र सरकार की मंशा के मुताबिक़ यूपी सरकार इन्हें अनुसूचित जाति में जगह दिए जाने की सिफारिश कर दें और केंद्र मजूरी भी दे दे तो उन्हें आरक्षण का ज़्यादा फायदा मिल सकता है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस समुदाय के ज़्यादा लोग रहते हैं. याचिकाकर्ताओं की तरफ से उनके वकील अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी ने पक्ष रखा. उनके मुताबिक़ कोर्ट ने यूपी सरकार को दो महीने में उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया है. 


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