प्रयागराज: मौनी अमावस्या का पर्व कल संगम नगरी प्रयागराज में भी पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा. इस मौके पर प्रयागराज के माघ मेले में तकरीबन एक करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद जताई जा रही है. कोरोना की महामारी के बावजूद लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने एक दिन पहले ही मेला क्षेत्र में डेरा जमा लिया है. मौनी अमावस्या को लेकर प्रशासन ने ख़ास तैयारियां की हुई हैं. ग्रहों और नक्षत्रों के ख़ास संयोग के चलते इस बार की मौनी अमावस्या का महत्व काफी बढ़ गया है. प्रयागराज में पिछले एक हफ्ते से मौसम काफी बेहतर होने और पूरे दिन खिली धूप निकलने की वजह से श्रद्धालु काफी राहत महसूस कर रहे हैं.


मौनी अमावस्या का स्नान पर्व प्रयागराज के माघ मेले का तीसरा और सबसे बड़ा पर्व होता है. पूरे मेले में सबसे ज़्यादा भीड़ इसी दिन आती है. मौनी अमावस्या के मौके पर संगम में डुबकी लगाने का सिलसिला ब्रह्म मुहूर्त यानी रात को करीब साढ़े तीन बजे ही शुरू हो जाएगा. मेले में आ रही भारी भीड़ के मद्देनज़र सभी प्रमुख विभागों का एक साझा कंट्रोल रूम बनाया गया है. यह कंट्रोल रूम बसंत पंचमी तक काम करता रहेगा. श्रद्धालुओं की सुविधा के मद्देनज़र संगम के साथ ही गंगा के तट पर कई दूसरे स्नान घाट भी बनाए गए हैं. इस ख़ास मौके पर सुरक्षा के बेहद कड़े इंतजाम रहेंगे. पुलिस के साथ ही पैरा मिलिट्री फ़ोर्स भी तैनात की जाएगी. रेलवे और रोडवेज ने श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्थाएं की हैं.


प्रयागराज रेंज के आईजी कवीन्द्र प्रताप सिंह का कहना है कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए हैं और इसके साथ ही भीड़ में भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन कराने की भी पूरी कोशिश की जाएगी. धर्मगुरु बिनेका बाबा के मुताबिक़ इस बार की मौनी अमावस्या पर श्रद्धालुओं को विशेष पूजा और अनुष्ठान करने की ज़रुरत है. इस बार ग्रहों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. धर्मगुरु स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ का कहना है कि वैसे तो पूरे दिन मौन रहने का नियम है, लेकिन व्यवहारिक तौर पर यह मुमकिन नहीं होने की वजह से कम से कम स्नान और पूजा होने तक ज़रूर मौन रहना चाहिए.


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