प्रयागराज: हाई कोर्ट के आदेश पर सख्ती से अमल करते हुए हुक्का पार्लरों के संचालन को पूरी तरह बंद कराए जाने को लेकर संगम नगरी प्रयागराज के अफसरों ने एक अनूठा फॉर्मूला ईजाद किया है. अफसरों ने इसके लिए न सिर्फ थानेदारों की जवाबदेही तय की है, बल्कि उनसे इस बात की एनओसी भी ली जा रही है कि उनके थाना क्षेत्र में अब कोई भी हुक्का पार्लर नहीं चल रहा है. थानेदारों को यह नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट अपने एसपी को देना होगा. अफसरों का कहना है कि सर्टिफिकेट देने के बाद जिस भी इलाके में हुक्का पार्लर चलते पाए जाएंगे, उसके लिए सीधे तौर पर वहां के थानेदार को ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा और उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इस अनूठे फॉर्मूले का ज़बरदस्त असर भी देखने को मिल रहा है और थानेदारों ने सख्ती व तेजी दिखाते हुए ज़्यादातर हुक्का पार्लरों को बंद करा दिया है.


दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के मद्देनज़र पिछले साल एक सितम्बर को आदेश जारी कर यूपी में हुक्का पार्लरों के संचालन पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी थी. जस्टिस शशिकांत गुप्ता और जस्टिस शमीम अहमद की डिवीजन बेंच ने यह आदेश गोविन्द पांडेय नाम के ला स्टूडेंट द्वारा भेजे गए लेटर पर सुओ मोटो लेते हुए दिया था. अदालत ने सूबे के चीफ सेक्रेट्री और सभी जिलों के डीएम को इस आदेश का सख्ती से पालन कराने की हिदायत दी थी. हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद प्रयागराज समेत सभी जिलों में हुक्का पार्लरों को बंद कराने की कवायद शुरू की गई.


पिछले महीने दो हुक्का पार्लर चलते हुए पाए गए थे


संगम नगरी प्रयागराज में सख्त चेतावनी के बावजूद जब कई जगहों पर हुक्का बार चलते हुए पाए गए तो अफसरों ने अनूठा फॉर्मूला ईजाद किया. इसके तहत न सिर्फ थानेदारों की जवाबदेही तय की गई, बल्कि उनसे लिखित में यह देने को भी कहा गया कि उनके थाना क्षेत्र में अब कोई हुक्का पार्लर नहीं चल रहा है. एनओसी में थानेदारों को यह भी लिखना होगा कि अगर उनके इलाके में कोई हुक्का बार चलेगा तो उसके लिए वह खुद जवाबदेह होंगे. हालांकि अकेले शहर के सिविल लाइंस इलाके में पिछले महीने दो हुक्का पार्लर चलते हुए पाए गए थे. इसमें पुलिस ने संचालकों को गिरफ्तार भी किया था.


एसपी सिटी दिनेश कुमार सिंह के मुताबिक़ इस फॉर्मूले का अच्छा असर भी देखने को मिल रहा है. उनके मुताबिक़ इसका मकसद थानेदारों को और बेहतर तरीके से काम करने के लिए प्रेरित करना है. इसके साथ ही उनमे इस बात का खौफ भी पैदा करना है कि अगर उन्होंने मुस्तैदी से काम नहीं किया तो उनके खिलाफ कार्रवाई भी हो सकती है. वैसे सवाल यह उठता है कि क्या सिर्फ थानेदारों से एनओसी भर लेने से हुक्का पार्लर्स बंद हो जाएंगे. सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि माना यह जाता है कि हुक्का पार्लर्स समेत दूसरे अवैध काम या तो पुलिस की मिलीभगत से चलते हैं या फ़िर उसकी जानकारी में.


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