नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हर साल की तरह हवा की गुणवत्ता का हाल खराब होता जा रहा है. लेकिन, इस साल प्रदूषण के साथ साथ कोरोना की भी मार है. दिल्ली में हवा की गुणवत्ता का हाल बेहद खराब कैटेगरी में पहुंच गया है. इससे सांस लेने में दिक्कत और खांसी भी लोगों में ज़्यादा देखने को मिल सकती है. ऐसे में कोरोना और वायु प्रदूषण से होने वाली खांसी में अंतर करना ज़रूरी हो गया है. इसी को लेकर हमने डॉक्टर संदीप नायर, सीनियर चेस्ट स्पेशलिस्ट से बात कर इसके बारे में जानने की कोशिश की. तो आप भी जानें बातचीत में क्या रहा खास.


प्रदूषण वाली खांसी में ये होता है
डॉक्टर संदीप नायर का कहना है कि यह मुश्किल दौर है जब कोरोना अपनी चरम सीमा पर है और प्रदूषण भी दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. अब यह पता लगाना मुश्किल हो गया है कि मरीज में सिम्पटम्स कोरोना के कारण है या प्रदूषण के कारण या दोनों के कारण, ऐसे वक्त में सिम्पटम्स भी बढ़ गए हैं. कोरोना में भी खांसी के साथ सांस लेने में दिक्कत हो सकती है वहीं प्रदूषण में भी खासी हो सकती है. लेकिन, प्रदूषण वाली खासी आंखों में जलन और पानी आना, गले में इरिटेशन होना ये ज़्यादातर होता है.


कोरोना में बुखार होता है
कोरोना में ज़्यादातर फीवर अधिक होता है, सांस की दिक्कत भी हो सकती है. सोर थ्रोट हो सकता है, ऑक्सिजेन फॉल हो सकती है. हालांकि पूर्ण रूप से तभी पता चल सकता है जब कोरोना का टेस्ट किया जाए. लेकिन, बहुत बार यह पता करना मुश्किल होता है क्योंकि कभी-कभी कोविड 19 में माइल्ड सिम्पटम्स भी होते हैं. इस समय इन दोनों से ज़्यादा से ज़्यादा बचना ज़रूरी है.


कोविड से खुद को बचाएं
डॉक्टर संदीप नायर ने कहा कि प्रदूषण का कम होना हमारे हाथ में है और जल्दी से जल्दी उसका घटना ज़रूरी है क्योंकि इस कारण से सांस की दिक्कत तो हो रही है. वहीं, कोविड से अपने आप को बचाएं, मास्क लगाएं, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, सावधानियां बरतें, जितना ज़्यादा हम कम बाहर जाएंगे उतना ही इन दोनों से बचेंगे.



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