प्रयागराज, एजेंसी। लॉकडाउन की वजह से देशभर के हजारों की संख्या में लोग प्रयागराज में फंस गए हैं। ये वो लोग हैं, जो यहां दिवंगत व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए अस्थि विसर्जन और पिंडदान जैसे मृत्यु संस्कारों के लिए यहां आए थे।
झारखंड से अस्थि विसर्जन करने प्रयागराज आए एक परिवार के लोग बंद के कारण यहीं फंस गए, जिसके कारण उनके परिवार के अन्य लोगों ने उनके घर में तेरहवीं के भोज का आयोजन किया। झारखंड में बोकारो के रहने वाले कपिल देव महली बताते हैं, 'अस्थि विसर्जन करने के अगले ही दिन बंद लागू हो गया था, जिसके कारण हम यहीं फंस गए। हमने परिवार के अन्य लोगों को फोन पर अस्थि विसर्जन की सूचना दी और उन्होंने वहां तेरहवीं के भोज का आयोजन किया।'
तीर्थ पुरोहित श्रवण कुमार शर्मा ने बताया कि जनता कर्फ्यू के बाद ही बड़ी संख्या में यजमान विमानों से अपने-अपने शहर चले गए थे, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर करीब 50 लोग ट्रेनें बंद होने के कारण वापस नहीं जा सके और उनके रहने-खाने की व्यवस्था तीर्थ पुरोहित कर रहे हैं। इनमें असम, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के लोग शामिल हैं। कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए पूरे देश में लागू बंद ने अस्थि विसर्जन पर भी विराम लगा दिया है। कोरोना वायरस से निपटने के लिए लागू किए गए बंद के कारण सनातन हिंदू धर्म के लोग धैर्य का परिचय दे रहे हैं और उन्होंने अपने मृत परिजनों के अस्थि कलश बंद खुलने तक पेड़ों पर टांग दिए हैं। राधा कृष्ण निशान वाले झंडे के तीर्थ पुरोहित श्रवण कुमार शर्मा ने बताया कि भारत में अस्थि विसर्जन के लिए प्रयागराज का विशेष महत्व है और पंजाब, जम्मू कश्मीर, हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश से लोग यहां अस्थि विसर्जन के लिए आते हैं। उन्होंने बताया कि अस्थि विसर्जन का कार्य पहले कभी नहीं रुका, लेकिन कोरोना वायरस के चलते देशभर में बंद लागू होने से लोगों ने अस्थि विसर्जन का कार्य स्थगित कर दिया है और अस्थि कलश पेड़ों पर टांग दिए हैं। बता दें कि प्रयागराज में प्रतिदिन कम से कम 1000 लोग अस्थि विसर्जन के लिए आते हैं।
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