उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में नोएडा (Noida) की थाना फेज 1 पुलिस द्वारा फर्जी मार्कशीट और डिग्री बनाने वाले 2 शातिरों को गिरफ्तार किया गया है. इनके कब्जे से अलग-अलग स्कूल और कॉलेज की फर्जी मार्कशीट, सनद, डिग्रियां, 120 फर्जी मार्कशीट, मार्कशीट बनाने के उपकरण, एक प्रिंटर, एक सीपीयू, एक एलईडी मॉनिटर, एक कीबोर्ड, एक माउस और मार्कशीट बनाने के सफेद कागज बरामद किये गए हैं.


कहां से गिरफ्तार किए गए
गिरफ्तार किए गए आरोपियों का नाम अब्दुल समद और आदिल है. दअरसल आदिल का पिता अब्दुल का दोस्त था. उसकी मौत हो जाने के बाद आदिल इस धंधे में आया और अब्दुल के साथ काम करने लगा. दोनों मिलकर काम कर रहे है. इस संबंध में नोएडा थाना फेस 1 पुलिस द्वारा अब्दुल सदम को छोटी बजरिया चक्की वाली गली घंटाघर गाजियाबाद और आदिल निवासी कस्बा दादरी गौतमबुद्धनगर को नयाबांस सेक्टर 15 मेट्रो स्टेशन के पास से गिरफ्तार किया गया है.


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10,000 डिग्रियां दे चुके हैं
पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में पता चला कि, ये शातिर किस्म के अपराधी हैं और फर्जी मार्कशीट और डिग्री तैयार करने का कारोबार लगभग 20 सालों से कर रहे हैं. ये दोनों 12वीं तक पढे हैं. ये 3-4 हजार रुपये में डिग्रियां बनाते थे. पेपर और डिग्री के अनुसार रेट तय करते थे. डिग्रियां बनाने के लिये कोरल ड्रा सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके ये फर्जी डॉक्यूमेंट तैयार करते हैं. ये अबतक लगभग 10,000 लोगों को डिग्रियां बनाकर दे चुके हैं. प्रति महीने 10-15 लोगों को डिग्रियां बनाकर देते थे. 


बैंक अकान्ट सीज हो रहा
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि, अधिकतर लोग प्राइवेट जॉब के लिये डिग्रियां बनवाते हैं. इनके और भी डॉक्यूमैन्ट्स चेक किये जा रहे है. बैंक अकान्ट सीज किये जा रहे हैं. अब्दुल समद ने बताया कि, आदिल का पिता उसका एक अच्छा दोस्त था जिसके साथ बीते 20 सालों से काम रहा था लेकिन अकील की मौत के बाद आदिल के साथ काम करने लगा.


एडीसीपी ने क्या बताया
एडिश्नल डीसीपी नोएडा रणविजय सिंह ने बताया कि, थाना फेस-1 ने एक फर्जी मार्कशीट बनाने वाले गैंग का भंडाफोड़ किया है. इस एरिया के एसीपी, एसएचओ और वहां के लोकल चौकी इंचार्ज को ये सूचना मिली थी कि कुछ लोग फर्जी मार्कशीट बनाकर बेचने जा रहे हैं. इस सूचना पर हम लोगों ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है. अब्दुल समद गाजियाबाद का रहने वाला है और आदिल दादरी गौतमबुद्धनगर का रहने वाला है. ये दोनों मिलकर फर्जी मार्कशीट बनाते थे.


एडीसीपी ने बताया कि, ये लोग गूगल ईमेज से सर्टिफिकेट डाउनलोड करते थे. उसके बाद कुछ सॉफ्टवेयर से एडिटिंग करने के बाद संबंधित आदमी को बेचा करते थे. ये इसे तीन से चार हजार रुपए में बेचा करते थे. इन लोगों ने बताया कि अब तक ये 10 हजार लोगों को सर्टिफिकेट बेच चुके हैं और लगभग 20-22 सालों से ये काम कर रहे थे. बीच में अब्दुल समद एकबार जेल भी गया था. हमने इनके पास से 120 मार्कशीट और सर्टिफिकेट रिकवर किए हैं. साथ ही इसे बनाने में प्रयोग होने वाला कम्प्यूटर और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स रिकवर किया गया है.


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