Noida Electricity Department and Builder: नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) अगर भ्रष्टाचार (Corruption) का घर है तो नोएडा (Noida) में बिजली विभाग (Electricity Department) उसकी चारदीवारी है, ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि लखनऊ (Lucknow) से आई टीम ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा के निर्माणाधीन इलाकों में जांच की तो बिल्डर (Builder) और बिजली विभाग के अधिकारियों का ऐसा गठजोड़ सामने आया जिससे राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने करोड़ों के राजस्व के नुकसान होने की बात कही. यही वजह है कि टीम ने लगभग 23 इंजीनियरों को शुरुआती जांच में दोषी ठहराते हुए चार्जशीट सौंप 21 दिनों में जबाब दाखिल करने को कहा है. 


अस्थाई बिजली कनेक्शन का है खेल 
दरअसल, ये पूरा खेल अस्थाई बिजली कनेक्शन का था जिसमें अधिकारी बड़े-बड़े बिल्डरों को अस्थाई कनेक्शन देकर पूरे प्रोजेक्ट का निर्माण करवा रहे थे. बिजली विभाग के अधिकारियों और बिल्डर के इस गठजोड़ से बिल्डर को मोटा मुनाफा हो रहा था. लेकिन, जब इसकी भनक योगी सरकार को लगी तो उसने लखनऊ के शक्ति भवन से टीम भेजकर पूरे मामले की जांच कराई. अधीक्षण अभियंता बिजली विभाग नोएडा वीरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि निरीक्षण की टीम आई थी. जिसके बाद उन्होंने अपनी रिपोर्ट दी थी. कई अधिकारियों के ट्रांसफर हुए है. 


सालों से चला आ रहा था खेल 
जांच करने पहुंची टीम ने जब नोएडा ग्रेटर, नोएडा के निर्माणाधीन इलाकों की जांच की तो अधिकारियों और बिल्डर के गठजोड़ का सच सामने आया. अधिकारी बिजली विभाग को चूना लगाते हुए बिल्डर को सीधा मुनाफा पहुंचा रहे थे और ये खेल एक-दो महीनों का नहीं था बल्कि सालों से चला आ रहा था. यही वजह है कि रिपोर्ट सामने आने के बाद शासन ने कई अधिकारियों के स्थानांतरण भी किए है. शुरुआती जांच में राजकीय विद्युत उपभोक्ता परिषद को लगभग 100 करोड़ के नुकसान का अनुमान है. लेकिन, अभी ये रकम बढ़ भी सकती है.


जांच टीम को नहीं मिले हैं अहम दस्तावेज 
बता दें कि, शुरुआती जांच में टीम ने 23 इंजीनियरों को दोषी ठहराते हुए चार्जशीट थमा दी है. जिन्हें अपना जवाब महज 21 दिनों के अंदर दाखिल करना होगा. अगर इंजीनियरों के जवाब से जांच टीम संतुष्ट होती है तो ठीक, नहीं तो इन इंजीनियरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाएगी. जांच के बाद जहां बिजली विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है तो वहीं कुछ सफेदपोश अधिकारी अहम दस्तावेजों को गायब करने की कोशिश में लगे हुए हैं. ताकि, जांच में नाम शामिल ना हो सके. वहीं, कुछ अहम दस्तावेज अभी भी जांच टीम को नहीं मिल पा रहे हैं इसी वजह से आशंका जताई जा रही है कि कुछ दस्तावेजों को गायब ही कर दिया गया है.  


एसटीएफ को सौंपी जा सकती है जांच 
उम्मीद है कि, इस पूरे मामले की जांच जल्द ही एसटीएफ को सौंपी जा सकती है. यही वजह है कि उन अधिकारियों में सबसे ज्यादा खलबली मची हुई है जो पहले नोएडा में पोस्टेड थे और आज पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में ऊंची पोस्ट पर बैठे हुए हैं. इन अधिकारियों को लग रहा है कि कहीं एसटीएफ ने इस पूरे मामले की जांच शुरू की तो उसे कड़ियां जोड़ने में वक्त नहीं लगेगा और जांच की की आंच उन तक भी पहुच सकती है.  



ये भी पढ़ें: 


UP Election 2022: 2017 में हारी सीटों के लिए योगी आदित्यनाथ ने शुरू किया नया अभियान, ये है खास रणनीति


SP Leader Protest: मनीष गुप्ता के घर पर जुटे सपा कार्यकर्ता, पत्नी हाथ जोड़कर बोलीं- राजनीति ना करें