Varanasi Bomb Blast: लखनऊ की एक विशेष अदालत ने साल 2006 में वाराणसी में सिलसिलेवार बम विस्फोट के संबंध में दोषी करार वलीउल्लाह को विस्फोटक बरामदगी के 16 साल पुराने एक अन्य मामले में गुरुवार को उम्रकैद की सजा सुनाई और 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. एनआईए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश वी एस त्रिपाठी ने यह आदेश पारित किया. न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि दोषी को संकट मोचन परिसर में विस्फोट के मामले में पहले ही मृत्युदंड दिया जा चुका है, जिससे पता चलता है कि वह खूंखार अपराधी है और इसलिए वह मामले में प्रदान की गई अधिकतम सजा का पात्र है.


वलीउल्लाह को बुधवार को दोषी ठहराया गया था और सजा सुनाने के लिए गुरुवार का दिन मुकर्रर किया गया था. वलीउल्लाह के वकील ने यह कहते हुए कम सजा का अनुरोध किया कि वह इस मामले में पहले ही 17 साल जेल में बिता चुका है और उसके परिवार में बूढ़ी मां, पत्नी और एक बेटा तथा एक बेटी है. 


आंतकी वलीउल्लाह को उम्रैकद


राज्य सरकार के वकील एम के सिंह ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि वलीउल्लाह खूंखार अपराधी है और अगर उसे लखनऊ में गिरफ्तार नहीं किया जाता, तो वह शहर में विस्फोटों को अंजाम देने में सफल होता, जिससे निर्दोष लोगों को गंभीर नुकसान होता. सिंह के अनुसार, प्रयागराज के फूलपुर निवासी वलीउल्लाह को पांच जून 2006 को वाराणसी पुलिस ने लखनऊ के गोसाईगंज में गिरफ्तार किया गया था. 


अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया था कि गिरफ्तारी के वक्त वलीउल्लाह के पास आधा किलो आरडीएक्स, डेटोनेटर जैसी विस्फोटक सामग्री और पिस्तौल तथा कारतूस मिले थे. बाद में, उस पर संकट मोचन मंदिर विस्फोट के संबंध में भी मामला दर्ज किया गया था. इस मामले में छह जून 2022 को गाजियाबाद की एक अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई थी. 


गौरतलब है कि सात मार्च, 2006 को 15 मिनट के भीतर संकट मोचन मंदिर और वाराणसी छावनी रेलवे स्टेशन पर हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों में कम से कम 18 लोग मारे गए थे और 100 से अधिक घायल हो गए थे. 


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