Hindon River Pollution: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने हिंडन नदी में प्रदूषण को रोकने में विफलता के लिए उत्तर प्रदेश के सात जिलों में नगर निकायों के प्रभारी अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया है. हिंडन, यमुना नदी की एक सहायक नदी है. यह बरसाती नदी गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, मेरठ और बागपत जिलों में पानी उपलब्ध कराने का प्राथमिक स्रोत है.


न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी की पीठ ने कहा, "मामला एक साल से अधिक समय से लंबित होने के बावजूद, हिंडन नदी के पानी की गुणवत्ता और अनुपचारित सीवेज तथा कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट को लगातार नदी में बहाए जाने के संबंध में कुछ भी सुधार नहीं हुआ है. इससे बड़े पैमाने पर, नदी का पानी प्रदूषित हो रहा है." 


"जमीनी स्तर पर कोई सुधार नहीं हुआ"


पीठ ने कहा, "आज तक, कड़ी कार्रवाई नहीं की गई है और उपचारात्मक कार्रवाई के तहत केवल भविष्य के वादे, बैठकें, निर्णय, भविष्य में की जाने वाली कार्रवाइयां नजर आती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है." कुछ जल-मल शोधन संयंत्र (एसटीपी) जो कई महीनों से परीक्षण के अधीन थे, अभी तक शुरू नहीं होने का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा कि यह पर्यावरण सुरक्षा के लिए अपने वैधानिक कार्यों के निर्वहन में अधिकारियों की ओर से गंभीर प्रयासों की कमी को दर्शाता है. 


उद्योगों के खिलाफ भी आपराधिक मुकदमा चलाने का निर्देश


एनजीटी ने 15 दिसंबर के एक आदेश में कहा, "इन परिस्थितियों में, हम सदस्य सचिव, यूपीपीसीबी (उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) को (सात जिलों के) नगर निगमों/नगर निकायों के प्रभारी अधिकारियों के खिलाफ उचित अदालत में आपराधिक शिकायत दर्ज करके मुकदमा शुरू करने का निर्देश देते हैं." इसने उन उद्योगों के खिलाफ भी आपराधिक मुकदमा चलाने का निर्देश दिया, जो नदी में प्रदूषक छोड़ रहे हैं.


एनजीटी ने कहा, "इसके अलावा, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उसके अधिकारी उन औद्योगिक और अन्य प्रतिष्ठानों को बंद करने के लिए तत्काल कार्रवाई करेंगे, जो हिंडन नदी में प्रदूषक छोड़ रहे हैं." पीठ ने यूपीपीसीबी से दो महीने के भीतर एक अनुपालन रिपोर्ट सौंपने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 23 फरवरी के लिए सूचीबद्ध की गई. 


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