National Family Health Survey Report: देश में घरेलू हिंसा एक बड़ी समस्या है. सरकार के साथ-साथ कई सामाजिक संगठन भी इसके रोकथाम के लिए कदम उठाती रही है लेकिन आज भी इस तरह के मामलों की संख्या बहुत ज्यादा है. हालांकि पिछले कुछ सालों में इसमें थोड़ी सी कमी आई है. बुधवार को जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-21) के अनुसार पति द्वारा पत्नी पर "शारीरिक या यौन हिंसा" करने का मामला राष्ट्रीय स्तर पर 2015 में 31.2% था लेकिन इसमें थोड़ी गिरावट के साथ नए सर्वेक्षण में ये 29.3% पर आ गया है. ये सर्वेक्षण 18 से 49 साल के उम्र के वर्ग की है और कभी भी इस तरह की हिंसा की शिकार हुई महिलाओं का है.


घरलू हिंसा के मामले में यूपी दूसरे नंबर पर


एनएफएचएस द्वारा जारी किए गए 11 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के आंकड़ों से पता चलता है कि घरेलू हिंसा के मामले में तमिलनाडु टॉप पर है तो यूपी दूसरे नंबर पर. तमिलनाडु में (38.1%) और उत्तर प्रदेश में (34.8%) इस तरह के मामले हैं. इसके बाद झारखंड ( 31.5%), ओडिशा (30.6%), पुडुचेरी (30.5%) मध्य प्रदेश (28.1%), अरुणाचल प्रदेश (24.8%), राजस्थान (24.3%), दिल्ली (22.6%), छत्तीसगढ़ (20.2%), हरियाणा (18.2%) %), उत्तराखंड, (15.1%), पंजाब (11.6%) और चंडीगढ़ (9.7%) में है.


बाल विवाह में आई मामूली कमी


इसके अलावा देश में बहुत सालों से बाल विवाह की भी समस्या रही है, जो अभी कुछ कम जरूर हुई है लेकिन आज भी चिंता की विषय है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-21) के अनुसार यह समस्या गांव में ज्यादा है, जहां बाल विवाह के 27% मामले हैं. वहीं शहरी क्षेत्रों में 14.7% विवाह कम उम्र के थे. इसके साथ-साथ 20 से 24 की आयु वर्ग की हर चौथी लड़की की शादी 18 साल की उम्र से पहले कर दी गई थी. हालांकि प्रतिशत के लिहाज से पिछले पांच सालों में कम उम्र की शादी 26.8% से घटकर 23.3% हो गई है.


आंकड़ों से पता चलता है कि सर्वेक्षण के समय 15-19 वर्ष की आयु की 6.8% महिलाएं पहले से ही मां या गर्भवती थीं. शहरी क्षेत्रों में इस श्रेणी में 3.8% महिलाएं और ग्रामीण क्षेत्रों में 7.9% महिलाएं आती हैं. वहीं 25-29 साल के आयु के पुरुष जिनकी शादी 21 वर्ष की कानूनी आयु से पहले हुई थी, वे ग्रामीण क्षेत्रों में 21.1% और शहरी क्षेत्रों में 11.3% थे. कुल मिलाकर, ऐसे पुरुषों की संख्या 2019-21 में 17.7 फीसदी रही, जबकि 2015-16 में यह 20.3 फीसदी थी. यानी ये कहा जा सकता है कि पुरुषों में भी कम उम्र में शादी की प्रथा में कमी आ रही है.


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