Caste Survey: बिहार सरकार ने गांधी जयंती के दिन राज्य के जाति आधारित सर्वे के आंकड़े जारी किए तो उत्तर प्रदेश की सियासत गर्म हो गई. एनडीए के समर्थक दलों में शुमार अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने अपने बयानों से भारतीय जनता पार्टी पर जाति आधारित गणना की मांग करते हुए दबाव बनाना शुरू कर दिया है.

बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित सर्वे के आंकड़े जारी किए जाने के बाद यूपी में भी इस मुद्दे पर सियासत शुरू हो गई है. विपक्ष ही नहीं बल्कि सत्ता पक्ष में शामिल बीजेपी के सहयोगी दल भी जाति आधारित गणना की मांग को फिर से उठाने लगे हैं. एनडीए की घटक दल अपना दल(एस) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने भी जाति आधारित गणना करने की मांग उठाकर बीजेपी पर दबाव बना दिया है.  

अपना दल (एस) और सुभासपा ने किया समर्थन

अपना दल(एस) की मुखिया अनुप्रिया पटेल का कहना है कि उनकी पार्टी हमेशा से जाति आधारित गणना करने की पक्षधर रही है और इस मुद्दे को उन्होंने सड़क से लेकर संसद तक उठाया है. वहीं सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी के मुख्य प्रवकता अरुण राजभर का कहना है कि उनकी पार्टी का गठन ही इस मुद्दे की लड़ाई को लेकर हुआ है. पार्टी विधानसभा में इस मुद्दे को कई बार उठा चुकी है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी इसकी लड़ाई सत्ता के भीतर और बाहर रहकर भी लड़ती रही है. सुभासपा रोहिणी आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की भी मांग भी कर चुकी है.

निषाद पार्टी ने रखी ये मांग

निषाद पार्टी के अध्यक्ष और प्रदेश के कैबिनेट मंत्री डॉ संजय कुमार निषाद का कहना है कि नीतीश सरकार  जाति आधारित सर्वे के नाम पर जातियों को भरमाना चाहती है. इनके वोट को बांटकर ओबीसी और एससी-एसटी की संख्या को छोटा करना चाहती है. हम चाहते हैं की संवैधानिक रूप से गिनती होनी चाहिए. यदि जाति आधारित गणना करना है तो वर्ष 1961 के गणना के आधार पर जाति आधारित गणना होनी चाहिए .

कांग्रेस ने किया जाति आधारित गणना का समर्थन

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने जाति आधारित गणना को हर हाल में जरूरी बताया. उन्होंने कहा कि इससे सभी वर्गों को बराबर से योजनाओं का लाभ दिलाया जा सकेगा. कांग्रेस पार्टी जाति आधारित गणना करने की मांग को लेकर सम्मेलन भी कर रही है. उन्होंने कहा कि बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे के आंकड़े वहां की वास्तविक स्थिति को बता रहे हैं. उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि सभी राज्यों में यह गणना होनी चाहिए.

अखिलेश ने कहा ये सहयोग का नया रास्ता खोलेगा

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने बिहार में जाति आधारित सर्वे को सामाजिक न्याय का गणतीय आधार करार दिया. उन्होंने कहा कि जाति आधारित गणना 85% बनाम 15% के संघर्ष का नहीं बल्कि सहयोग का नया रास्ता खोलेगी. जो लोग सब के हक के हिमायती हैं वह इसका समर्थन भी करते हैं, जो सच में अधिकार दिलवाना चाहते हैं, वह जाति आधारित गणना करवाते हैं. 

उन्होंने कहा की बीजेपी सरकार को राजनीती छोड़ कर देशव्यापी जाति आधारित गणना करवानी चाहिए. अखिलेश ने कहा कि जब लोगों को यह पता चलता है कि वह गिनती में कितने हैं, तब उनके बीच एक आत्मविश्वास भी जागता है. सामाजिक नाइंसाफी के खिलाफ एक सामाजिक चेतना भी जागती है. इससे उनकी एकता बढ़ती है और वह एकजुट होकर अपनी तरक्की के रास्ते में आने वाली बाधाओं को भी दूर करते हैं. जाति आधारित गणना देश की तरक्की का रास्ता है.

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