उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आपराधिक मामलों में काफी इजाफा दर्ज किया गया है. यह जानकारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की वर्ष 2023 की रिपोर्ट में सामने आई है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि राजधानी में गाजियाबाद कानपुर के मुकाबले बलात्कार, हत्या, एसिड अटैक, गैर इरादतन हत्या, अपहरण के मामले ज्यादा दर्ज किए गए. NCRB के वार्षिक अपराध सूची में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, कानपुर और लखनऊ को शामिल किया है. इस रिपोर्ट में उन 19 महानगरों को ही शामिल किया गया है जिनकी आबादी 20 लाख से ऊपर है.
अपराध संबंधी एनसीआरबी की हालिया रिपोर्ट 2011 के जनगणना के आंकड़ों पर आधारित हैं. एनसीआरबी के अनुसार, गाजियाबाद में हत्या के 45, कानपुर में 97 मामले दर्ज किए गए. वहीं लखनऊ में 101 पीड़ितों के साथ 98 ऐसे अपराधिक केस दर्ज किए. गाजियाबाद में अपराध दर 1.9 थी वहीं कानपुर में 3.3 जबकि लखनऊ में 3.4 थी. एनसीआरबी के अनुसार, गाजियाबाद में 83 मामले दर्ज किए गए. कानपुर में 86 मामले जबकि लखनऊ में 151 मामले दर्ज किए गए.
अपहरण में क्या है स्थिति?
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार गाजियाबाद अपहरण के 33, कानपुर में 373 ( 555 पीड़ित) जबकि लखनऊ में 720 मामले दर्ज किए गए जिनमें 722 पीड़ित थे. रिपोर्ट में अनुसार उपरोक्त जनपदों में अपराध दर क्रमशः 1.4, 12.8 और 24.8 है.
रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि गाजियाबाद और कानपुर में एसिड अटैक के एक-एक मामले सामने आए जबकि लखनऊ में 4 मामले दर्ज किए गए. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक गाजियाबाद में गैर इरादतन हत्या के 14, कानपुर में 19 और लखनऊ में 36 पीड़ितों के साथ 28 मामले दर्ज किए गए. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, लापरवाही से हुई मौतों में गाजियाबाद में 181, कानपुर में 562 और जबकि लखनऊ में 1,256 मामले सामने आए.
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क्या है सरकार का पक्ष?
इन आंकड़ों से उलट सरकार ने दावा किया है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अपराध नियंत्रण और महिला सुरक्षा के मामले में अभूतपूर्व चमत्कार किया है. NCRB 2023 के आंकड़ों का जिक्र करते हुए सरकार ने कहा कियूपी में महिलाओं पर हिंसा के मामलों में उल्लेखनीय कमी आई है और यह अन्य राज्यों की तुलना में भी बेहतर स्थिति में है.
सरकार के मुताबिक सख्ती और पारदर्शिता का असर साफ दिखाई दिया जिसके चलते पूरे राज्य में सांप्रदायिक और धार्मिक दंगों की संख्या शून्य रही है, जो इससे पहले कभी नहीं हुआ.
कहा गया कि अपराध के मामलों में भी यूपी ने राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन किया है. जहां पूरे देश में प्रति एक लाख जनसंख्या पर औसतन 448 अपराध दर्ज होते हैं, वहीं यूपी में यह आंकड़ा सिर्फ 335 है.