उत्तराखंड के नैनीताल में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के दौरान हुए बवाल से दुखी होकर वरिष्ठ अधिवक्ता रवींद्र सिंह बिष्ट ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने हाईकोर्ट में जिला पंचायत की तरफ से केस लड़ने में असमर्थता जताई है. उनके इस्तीफे के बाद खलबली मच गई है. 

अधिवक्ता रवींद्र सिंह बिष्ट ने जिला पंचायत के सरकारी वकील पर से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने 14 अगस्त को जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव के दौरान हुए अपहरण कांड को अपने इस्तीफे की प्रमुख वजह बताया है. उन्होंने अपने इस्तीफे में पुलिस की नाकामी का जिक्र किया है. 

अपहरण कांड से दुखी होकर उठाया कदम

रवींद्र बिष्ट ने कहा कि मतदान केंद्र परिसर से चुनाव के दौरान पाँच निर्वाचित सदस्यों का हथियारबंद लोगों की ओर से अपहरण कर लिया गया. उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा कि पुलिस के सामने ये घटना होती रही और पुलिस चुप रही. इस घटना से न केवल आम जनता में डर का माहौल पैदा हो गया है बल्कि पंचायत अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव पर भी इसका असर पड़ा है. 

रवींद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि इस तरह के माहौल में वो अब जिला पंचायत की ओर से अधिवक्ता के रूप में कार्य करने में असमर्थ महसूस कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में स्वतंत्र और निष्पक्ष न्याय की उम्मीद करना असंभव सा लगता है. इसी पीड़ा के चलते उन्होंने अब अपने पद से हटने का फैसला लिया है. 

जिला पंचायत अधिवक्ता पद से दिया इस्तीफा

इस इस्तीफे के बाद प्रशासनिक कार्यशैली और चुनावी निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े होने लगे हैं. रवीन्द्र सिंह पिछले बीस साल से जिला पंचायत के अधिवक्ता थे. उन्होंने डीएम और जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी को अपना इस्तीफा भेज दिया है. 

वहीं दूसरी तरफ़ नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव को लेकर हो रही उठापटक का मामला अब राज्य निर्वाचन आयोग तक पहुंच गया है. डीएम वंदना सिंह ने चुनाव संबंधी अंतरिम रिपोर्ट राज्य निर्वाचन आयोग को भेज दी है. डीएम ने अनंतिम परिणाम तैयार कर लिए हैं लेकिन, अभी तक उन्हें सार्वजनिक नहीं किया गया है. अब अंतिम फैसला राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा लिया जाएगा. 

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