उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा के दौरान सांप्रदायिक तनाव और दंगे भड़काने की एक बड़ी साजिश को पुलिस ने नाकाम कर दिया है. ककरौली थाना क्षेत्र से तीन आरोपियों—नदीम (25), मनशेर (45), और रहीस उर्फ फुरकान (35)—को गिरफ्तार किया गया है. ये लोग पाकिस्तान के एक पुराने वीभत्स वीडियो को मुरादाबाद की घटना बताकर व्हाट्सएप ग्रुपों में वायरल कर रहे थे, ताकि सांप्रदायिक दंगे और आतंकी घटनाएं भड़काई जा सकें.
पुलिस ने आरोपियों के पास से तीन मोबाइल फोन बरामद किए हैं और BNS, UAPA, और IT एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है. डीआईजी सहारनपुर अभिषेक सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस साजिश का खुलासा करते हुए पाकिस्तानी ISI के संभावित कनेक्शन की जांच की बात कही.
क्या थी साजिश?
पुलिस के मुताबिक गिरफ्तार आरोपियों ने मुजफ्फरगढ़, पाकिस्तान में अप्रैल 2024 में हुई एक हत्या की घटना का वीडियो, जिसमें एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी और सात बच्चों की हत्या की थी. इसको मुरादाबाद का बताकर व्हाट्सएप ग्रुपों में वायरल किया. वीडियो के साथ एक ऑडियो मैसेज भी प्रसारित किया गया, जिसमें दावा किया गया कि बजरंग दल के कार्यकर्ता मंसूरपुर और आसपास के गांवों में मुस्लिम परिवारों पर हमला कर रहे हैं और 50 से अधिक लोगों की हत्या हो चुकी है.
इस फर्जी वीडियो को ककरौली युवा एकता, खिदमत अब्बासी ग्रुप, प्राउड इंडियन मुस्लिम्स, मुस्लिम समाज जिंदाबाद, और ऑल इंडिया एम्प्लॉयड ग्रुप जैसे व्हाट्सएप ग्रुपों में फैलाया गया, जिनमें सैकड़ों सदस्य हैं.
सांप्रदायिक तनाव था मुख्य साजिश
डीआईजी सहारनपुर अभिषेक सिंह ने बताया कि यह सोची-समझी साजिश थी, जिसका मकसद सावन के दूसरे सोमवार को, जब कांवड़ यात्रा अपने चरम पर होती है, सांप्रदायिक नफरत और आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देना था. आरोपियों का इरादा मॉब लिंचिंग या लोन वुल्फ अटैक जैसी घटनाओं को अंजाम देना था, जिससे सामाजिक सौहार्द बिगड़े और देश के प्रति असंतोष फैले.
पाकिस्तानी हैंडलर्स का शक
डीआईजी अभिषेक सिंह ने बताया कि प्रारंभिक जांच में वीडियो के पाकिस्तानी ISI हैंडलर्स से जुड़े होने के संकेत मिले हैं. पुलिस का कहना है कि इस तरह की साजिश से मॉब लिंचिंग या आतंकी हमले जैसी घटनाएं हो सकती थीं, खासकर क्योंकि मुजफ्फरनगर एक संवेदनशील जिला है. पुलिस ने एटीएस और रैपिड एक्शन फोर्स की तैनाती के साथ सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त कर दिया है.
सोशल मीडिया पर निगरानी
पुलिस ने बताया कि यह वीडियो पांच प्रमुख व्हाट्सएप ग्रुपों में फैलाया गया, जिनमें 150 से 850 तक सदस्य हैं. अतिरिक्त डीजी मेरठ जोन भानु भास्कर ने कहा कि डिजिटल जांच में पता चला कि यह संदेश पाकिस्तान से उत्पन्न हुआ था. पुलिस अन्य राज्यों और क्षेत्रों में छापेमारी कर इस नेटवर्क के अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है.