Mukhtar Ansari News: मुख्तार अंसारी का 786 नंबर का प्रेम बड़ा प्रगाढ़ था. मुख्तार अंसारी के मोबाइल नंबर में भी आखिर में 11786 होता था और उसके गाड़ियों के नंबर में भी 786 होता था. लखनऊ से लेकर पूर्वांचल तक अलग-अलग आरटीओ जब 786 नंबर की गाड़ी कोई निकालते थे तो मुख्तार अंसारी का इतना ज्यादा था कि बिना मुख्तार से पूछे किसी नए आदमी को 786 नंबर नहीं देते थे.


मुख्तार अंसारी की मौत गुरुवार (28 मार्च) को कार्डियक अरेस्ट के कारण मौत हो गई. जिसे उसके पैतृक निवास गाजीपुर में काली बाग कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक कर दिया गया. वैसे तो मुख्तार अंसारी के किस्सों के बारे में कौन नहीं जानता होगा. पांच बार के विधायक और कई मुकदमों में नाम दर्ज होने के कारण मुख्तार किसी के लिए माफिया तो किसी के लिए रॉबिनहुड था. आपको बता दे कि मुख्तार को कई लग्जरी गाड़ियों का शौक भी था.


मुख्तार ने शुरू किया यूपी में वीआईपी नंबर का ट्रेंड
यूपी में मुख्तार अंसारी ने ही वीआईपी नंबर का ट्रेंड शुरू किया था. मुख्तार के गाड़ियों में 786 नंबर की गाड़ियां होती थी. गाड़ी का नंबर हो या मोबाईल का नंबर हो ये ट्रेंड जो यूपी में डेवलप हुआ वो मुख्तार अंसारी ने ही इसकी शुरुआत की थी. उनके मोबाइल का नंबर 11786 होता था. चाहे सीरीज कोई सी भी हो. अब यह ट्रेंड यूपी में सभी माफियाओं ने अपना लिया है.


VIP नंबर के लिए मुख्तार से लेना पड़ता था परमिशन
उत्तर प्रदेश में एक समय वीआईपी नंबर के लिए मुख्तार से ही परमिशन लेना पड़ता था. क्योंकि मुख्तार सत्ता के बहुत करीब रहते थे. एक फोन करने पर सीएम से उनकी बात हो जाती थी. चाहे वह मुलायम सिंह की सरकार हो या मायावती की. सन् 2008 की बात है. एक सपा नेता को 786 नंबर की गाड़ी चाहिए थी. उस समय 15000 जमा करने पड़ते थे. उन्होंने बोला मैं 15000 देने के लिए तैयार हूं मुझे नंबर दे दीजिए. तो आरटीओ वालों ने उन्हें नंबर देने से इनकार कर दिया. आरटीओ वालों ने कहा कि आपको मुख्तार अंसारी से इसके लिए परमिशन लेना पड़ेगा. तो उन्होंने कहा कि वो तो जेल में है. तब भी आरटीओ वालों ने कहा कि उनके बिना परमिशन के हम नंबर नहीं दे सकते है. 


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