Mukhtar Ansari Died: बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी की देर रात तबीयत बिगड़ी और फिर अस्पताल में हार्ट अटैक के बाद उसकी मौत हो गई. पूर्वांचल में बाहुबली मुख्तार अंसारी की सल्तनत चलती थी, मुख्तार ने पूर्वांचल के साथ पश्चिमी यूपी और उत्तराखंड तक अपना साम्राज्य खड़ा करने के लिए बड़ा गैंग बनाया था. मुख्तार अंसारी के राइट हैंड मुन्ना बजरंगी ने पश्चिम के बड़े गैंगस्टर संजीव जीवा से हाथ मिला लिया, लेकिन यहीं से डॉन सुशील मूंछ से मुख्तार की अदावत शुरू हो गई. कई हत्याएं भी हुईं लेकिन पश्चिमी यूपी में जरायम और खौफ का बड़ा नाम बनने का मुख्तार का सपना अधूरा रह गया.


पूर्वांचल के बाहुबली मुख्तार अंसारी से हाथ मिलाने के बाद संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा उत्तराखंड और पश्चिमी यूपी पर राज करने का सपना देखने लगा था. रंगदारी, प्रॉपर्टी, चौथ वसूली में उसका नाम आने लगा. उत्तराखंड में प्रॉपर्टी के विवाद में संजीव जीवा ने कांग्रेस नेता भारतेंदु हांडा और ट्रैवल व्यवसाई हरवीर सिंह की हत्या कर दी, कनखल में 50 करोड़ की बेशकीमती जमीन के विवाद में भी गोलियां चलवाईं. इन हत्याओं और जमीनी विवाद में जीवा डॉन सुशील मूंछ गैंग के निशाने पर आ गया और यहीं से मूंछ का गैंग सजीव जीवा और मुख्तार अंसारी का खेल खलास करने में जुट गया. गैंगस्टर सुनील राठी भी से भी जीवा की अदावात हो गई. सुशील मूछ के शूटरों ने जीवा के राइट हैंड पहाड़ी की हत्या करके जीवा को चैलेंज कर दिया कि अब उसका नंबर है. उत्तराखंड में रंगदारी और चौथ वसूली पर जहां भी जीवा का नाम आता वहां मूंछ के गुर्गे पहुंच जाते थे, जीवा के कई शूटर मार दिए गए.


मुख्तार अंसारी को यकीन हो गया था कि पश्चिमी यूपी में पैर जमाना आसान नहीं होगा और यहां राज कायम करना है तो डॉन सुशील मूंछ को रास्ते से हटाना होगा. मुन्ना बजरंगी कई बार अपने शूटर्स के साथ मुजफ्फरनगर आया, संजीव जीवा ने भी मूंछ की फिल्डिंग लगाई, लेकिन मूंछ के मजबूत नेटवर्क के आगे मुख्तार और उसके गुर्गों की हर प्लानिंग फेल हो गई. मुन्ना बजरंगी और संजीव जीवा ने जेल में रहते हुए भी कई बार सुशील मूंछ की हत्या की प्लानिंग की, खालापार के शाहरुख पठान को तैयार किया लेकिन मूंछ को रास्ते से हटाना मुमकिन न हो पाया.


बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या से मुख्तार को लगा था पहला झटका 


मुख्तार अंसारी का राइट हैंड मुन्ना बजरंगी, मुख्तार ने जो भी बजरंगी को टारगेट दिया वो पूरा हो गया. अचानक से मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में एंट्री होती है और यहां पहले से ही गैंगस्टर सुनील राठी बंद था. मुन्ना बजरंगी को लगने लगा था आज की रात आखिरी रात है और ये सच भी साबित हुआ. 8 जुलाई 2018 में मुन्ना बजरंगी की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई, इस हत्या का आरोप सुनील राठी पर लगा. बताया जाता है कि मुन्ना की हत्या की कहानी का पूर्वांचल कनेक्शन है, लेकिन जानकार इस हत्या में पश्चिम कनेक्शन भी मानते हैं. गैंगस्टर सुनील राठी को डॉन मूंछ का आशीर्वाद है. आरोप ये भी लगा कि मुन्ना बजरंगी तो मूंछ की हत्या में कामयाब नहीं हो पाया, लेकिन मूंछ ने मुन्ना बजरंगी की हत्या कराकर साबित कर दिया कि पश्चिम की जरायम की दुनिया में सुशील मूंछ की सल्तनत कायम है. मुन्ना की हत्या मुख्तार के लिए पहला बड़ा झटका था.


मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद संजीव जीवा को सताने लगा था डर


मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद संजीव जीवा को भी अपनी हत्या का डर सताने लगा था, उसे यकीन हो गया था कि मुजफ्फरनगर में पेशी पर कभी भी उसकी हत्या हो सकती है. इसलिए वह बार-बार अपनी हत्या की आशंका जता सुरक्षा बढ़ाने और वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई की मांग करने लगा था. साल 2023 में संजीव जीवा की लखनऊ कोर्ट परिसर में गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड में पांच लाख के इनामी बदन सिंह बद्दो का नाम आया कि उसने 50 लाख की सुपारी देकर हत्या कराई. बद्दो पुलिस कस्टडी से फरार हो गया था और आज तक पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर पाई.


पहले मुन्ना बजरंगी और फिर जीवा की हत्या से अकेला पड़ गया था मुख्तार


1997 में ब्रह्मदत द्रिवेदी की हत्या और 2005 में विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में संजीव जीवा का नाम आया था. इसके बाद जीवा की तूती पश्चिमी यूपी ही नहीं पूर्वांचल में भी बोलने लगी थी. मुख्तार अंसारी को लगता था मुन्ना बजरंगी और संजीव जीवा उसके साथ है तो अब किसी को भी रास्ते से हटाना आसान है, लेकिन जरायम की दुनिया में दुश्मन खत्म हो जाते हैं दुश्मनी नहीं. पहले बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की गोलियों से भूनकर हत्या और फिर लखनऊ कोर्ट परिसर में संजीव जीवा की गोलियों से भूनकर हत्या से मुख्तार दहल गया. यहीं से मुख्तार कमजोर पड़ा और पश्चिमी यूपी और उत्तराखंड में मफियाराज राज चलाने का उसका सपना भी अधूरा रह गया.


Mukhtar Ansari News: जब पूर्वांचल की राजनीति 'फाटक' से होती थी तय, लखनऊ तक चलता था मुख्तार अंसारी का सिक्का