UP News: उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव (UP Nagar Nikay Chunav) में समाजवादी पार्टी (SP) की करारी हार और मुरादाबाद दंगों (Moradabad Riots) पर पार्टी के सांसद डॉ. एसटी हसन (ST Hasan) ने मंगलवार को खुलकर अपनी बात रखी. सपा सांसद ने जहां मुरादाबाद दंगे की रिपोर्ट सार्वजनिक करने के योगी सरकार (Yogi Government) के फैसले का स्वागत किया तो वहीं यूपी नगर निकाय चुनाव में सपा की करारी हार पर कहा कि बीजेपी (BJP) ने मुस्लिम वोटरों को कांग्रेस, बसपा, एआईएमआईएम और आम आदमी पार्टी में बांट दिया.


एसटी हसन ने कहा कि बीजेपी को हराने के चक्कर में वोटर भ्रमित हो गया और कुछ मुस्लिमों को पसमांदा के नाम पर बांट दिया. सपा सांसद ने कहा यह मुसलमानों को बांटने की एक साजिश है. यह तत्कालीन समस्या है. सब इस बात को जानते हैं कि सपा ने मुसलमानों के साथ इंसाफ किया है इसलिए मुझे उम्मीद है कि 2024 में मुस्लिम मतदाता फिर सपा के साथ आ जाएगा.


'मुस्लिम मतदाताओं का सपा से अभी मोहभंग नहीं हुआ'


सपा सांसद ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि इमरान मसूद या डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क की नाराजगी की वजह से यह हुआ है. मुस्लिम मतदाताओं का सपा से अभी मोहभंग नहीं हुआ है, वह दोबारा सपा के साथ आएगा. अखिलेश यादव से मुसलमान उम्मीद रखते हैं कि वह उनकी लड़ाई लड़ेंगे और लड़ते हैं, इसलिए हम 2024 में हक और इंसाफ के साथ चुनाव लड़ेंगे.


मुरादाबाद दंगे की रिपोर्ट पर क्या बोले एसटी हसन


वहीं 1980 में मुरादाबाद में हुए दंगे की रिपोर्ट को योगी सरकार की ओर से सार्वजनिक करने के फैसले को एसटी हसन ने सही बताया. उन्होंने कहा, "मैं इस फैसले को सही मानता हूं. लोगों को मालूम होना चाहिए कि 1980 में किस तरह का जुल्म हुआ था. पीएसी जिन लोगों को घरों से उठा कर ले गई थी, वह आज तक वापस क्यों नहीं आए. जनता को मालूम होना चाहिए कि दंगे की शुरुआत किस तरह से की गई, जिन लोगों ने बेकसूर नमाजियों पर गोली चलाई थी, उनमें से कितने लोग जेल गए? ये जानने का हक जनता को है."


'पीएसी ने बहुत जुल्म किए'


एसटी हसन ने आगे कहा, "मेरे सगे मामू ईदगाह में नमाज पढ़ा रहे थे, वह उस समय शहर ईमाम थे और उन्होंने मुझे बताया था कि यह ऐलान भी किया था कि गोली न चलाई जाए लेकिन बेकसूर नमाजियों पर गोली चलाई गई और ट्रकों में भरकर लाशों को ले जाया गया. बहुत से घायलों को भी लाशों के साथ भरकर ट्रकों में ले गए, जिनमें से एक घायल को मेरे मामू जो शहर इमाम थे, उन्होंने बचाया भी था. ऐसी दर्दनाक घटनाएं बहुत हुईं, पीएसी ने बहुत जुल्म किए. पीएसी वालों ने ईमाम को भी बंदूक की बट मारी लेकिन उन्होंने घायल का हाथ नहीं छोड़ा और उस की जान बचाई थी."


एसटी हसन ने बताई एक पीड़िता की कहानी


सपा सांसद ने बताया, "लाशें कहां गई, कितने बच्चे और लोग घर नहीं लौटे, मैंने खुद एक ऐसी मां का इलाज किया जो 15 साल बाद भी यह कहती थी कि मेरा बेटा ईदगाह नमाज पढ़ने गया है, वह अभी तक लौटा नहीं है. मैने उसके लिए सेवई बनाई हैं. इस तरह की मानसिक हालात पीड़ितों को हो गई थी. बहुत दर्दनाक दास्तां हैं, कहां तक बताऊं.  मैं उस समय एमबीबीएस फाइनल ईयर का स्टूडेंट था और ईद मनाने घर आया हुआ था. मैंने मुहल्ले की मस्जिद में ईद की नमाज पढ़ी थी लेकिन ईदगाह से कीचड़ में सने कपड़ो में आए लोगों ने मुझे बताया था कि ईदगाह में पीएसी ने गोली चला दी है."


सपा सांसद बोले- पीएसी ने घरों में घुस कर लूट मचाई


मुरादाबाद के सांसद ने कहा कि ईदगाह का पूरा मैदान लाशों से पट गया था. लोगो ने बताया कि ईद की नमाज में दुआ के वक्त कीचड़ में सना हुआ एक सूअर नमाजियों के बीच में आ गया था. लोगों ने उस पर जब आपत्ति की तो पीएसी वालों ने नमाजियों पर गोली चला दी और दंगा भड़क गया. किसी ने सोचा भी नहीं था, इतनी गोलियां पीएसी वालों ने चलाईं. बाद में गुस्से में लोगों ने पुलिस चौकी को आग लगा दी थ.  पीएसी ने घरों में घुस कर लूट मचाई और लोगों को उठा कर ले गए. वह लोग आज तक वापस अपने घर नहीं आए.


सपा सरकार में क्यों सार्वजनिक नहीं हुई रिपोर्ट?


घटना के 43 साल बाद अब रिपोर्ट सार्वजनिक करने का बीजेपी सरकार का फैसला अब सपा को भी अच्छा लग रहा है. क्या इसकी वजह यह है कि उस समय कांग्रेस की सरकार थी और 2024 के चुनाव में इससे बीजेपी और सपा दोनों को लाभ मिल सकता है. इस पर सपा सांसद का कहना है कि यह इंसानियत का मामला है. लोगों को सच पता चलना चाहिए. सपा सरकार के समय यह सार्वजनिक क्यों नहीं की गई इस पर उन्होंने सफाई दी कि उस समय माहौल गर्म था. अगर जब सार्वजनिक होती तो हो सकता था कि उस समय हिन्दू-मुस्लिमो के बीच दूरियां और बढ़ जातीं, अब जख्म भर चुके हैं लेकिन जिन्होंने अपनो को खोया है, उनके तो अभी भी नहीं भरे हैं. जनता को यह जानने का हक है कि उनके साथ कब और क्या हुआ था?


रिपोर्ट पर एसटी हसन ने पहले उठाए थे सवाल


सपा सांसद ने सोमवार को योगी सरकार के इस फैसले को जख्मों पर नमक छिड़कने वाला फैसला बताया था. वहीं अब एस टी हसन को लगता है कि योगी सरकार जो मुरादाबाद दंगे की रिपोर्ट सार्वजनिक कर रही है, यह सरकार का सही फैसला है. 1980 की मुरादाबाद दंगे की घटना की सच्चाई जनता को पता चलनी चाहिए. सपा सांसद के बदले सुर के पीछे 2024 की चुनावी रणनीति प्रतीत होती है क्योंकि 1980 में दंगे के समय यूपी और देश में कांग्रेस की सरकार थी.


यूपी नगर निकाय चुनाव में हुई सपा के करारी हार


हाल ही में यूपी नगर निकाय चुनाव में सपा की करारी हार हुई है. मुस्लिम मतदाता समाजवादी पार्टी से हटकर कांग्रेस, एआईएमआईएम, आम आदमी पार्टी और बसपा की तरफ गया है. ऐसे में दंगे की रिपोर्ट सार्वजनिक होने पर जहां सपा और बीजेपी को कांग्रेस को घेरने का मौका मिलेगा तो वही हिंदू-मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण से दोनों को सीधा फायदा होने की उम्मीद है. ऐसे में दोनों पार्टियां मुरादाबाद दंगे की रिपोर्ट सार्वजनिक करने के मुद्दे पर एक मत दिखाई दे रही हैं.


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